अभिनेता विनोद खन्ना का 70 साल की उम्र में निधन, जाने उनकी कुछ खास बातें …

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NEW DELHI: पिछले कुछ समय से मुंबई के मुंबई के एच एन रिलायंस अस्‍पताल में भर्ती दिग्‍गज अभिनेता और सांसद विनोद खन्‍ना का 70 साल की उम्र में निधन हो गया है. बीते काफी दिनों से वे कैंसर से जूझ रहे थे लेकिन आज उनकी सेहत ज्यादा  बिगड़ गई और उनका निधन हो गया. विनोद खन्‍ना फिल्‍मों से लेकर राजनीति तक में काफी सक्रिय रहे थे. दिग्गज अभिनेता पंजाब के गुरदासपुर से सांसद थे. बताते चलें कि हाल ही में उनकी एक फोटो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी जिसमे वे काफी कमजोर दिख रहे थे, हालाँकि उनके बेटे ने कहा था कि उनकी तबियत अभी ठीक है. विनोद खन्ना आखिरी बार फिल्म ‘एक थी रानी’ में नज़र आए थे. इसके पहले वो 2015 में शाहरूख खान अभिनीत फिल्म ‘दिलवाले’ में भी दिखे थे. वे 70 और 80 के दशक के सुपरस्‍टार थे.

कभी बॉलीवुड में था विनोद खन्ना का दबदबा:
विनोद खन्ना ने ‘मेरे अपने’, ‘कुर्बानी’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘रेशमा और शेरा’, ‘हाथ की सफाई’, ‘हेरा फेरी’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’ जैसी कई शानदार फिल्में की हैं. विनोद खन्ना का नाम ऐसे एक्टर्स में शुमार था जिन्होंने शुरुआत तो विलेन के किरदार से की थी लेकिन बाद में हीरो बन गए. विनोद खन्ना ने 1971 में सोलो लीड रोल में फिल्म ‘हम तुम और वो’ में काम किया था.

मंहगे सितारों में से एक थे विनोद खन्ना:
विनोद खन्ना 1987 से 1994 में बॉलीवुड के सबसे मंहगे सितारों में से एक थे. विनोद खन्ना 70 और 80 के दशक के सुपरस्‍टार रहे. विनोद खन्‍ना वह सितारे थे जिन्‍होंने एक विलेन के तौर पर अपनी शुरुआत की. उन्‍होंने 1968 में सुनील दत्‍त के साथ फिल्‍म ‘मन का मीत’ से अपनी फिल्‍मी सफर की शुरुआत की थी. विनोद खन्ना ने अपने चार दशक लंबे सिने करियर में लगभग 150 फिल्मों में अभिनय किया. उनके निभाए हर किरदार सिनेमा प्रेमियों के दिलों में ज़िंदा हैं. उन्‍होंने ‘पूरब और पश्चिम’, ‘मेरा गांव मेरा देश’ जैसी कई फिल्‍मों में नकारात्‍मक किरदार निभाए थे. 1971 में उन्‍होंने ‘हम तुम और वो’ में प्रमुख भूमिका निभायी.

……तो अमिताभ पर पड़ते भारी:
विनोद खन्ना के बारे में कहा जाता है कि अगर वे ओशो के आश्रम न जाते तो आने वाले वक्त में वह अमिताभ बच्चन के स्टारडम को फीका कर देते. विनोद खन्ना को अमिताभ बच्चन के कड़े प्रतिद्वंदी के रूप में माना जाते थे. विनोद खन्ना और अमिताभ बच्चन, दोनों ही अपने बॉलीवुड करियर के उफान पर लगभग एक ही समय में थे. दोनों सुपरस्टार्स ने ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘परवरिश’, ‘अमर अखबर एंथॉनी’ जैसी फिल्मों में साथ में काम किया था.

राजनीति में विनोद खन्ना:
1997 में विनोद खन्ना ने बीजेपी ज्वाइन किया था. अगले ही साल 1998 में पहली बार विनोद खन्ना पंजाब के गुरदासपुर से सांसद चुने गए थे. 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी की कैबिनेट में उन्हें संस्कृति व पर्यटन मंत्री बनाया गया था बाद में उन्हें विदेश राज्य मंत्री भी बनाया गया था. वह 2014 में भी गुरूदासपुर लोकसभा सीट से निर्वाचित हुए थे. अपने राजनीति कैरियर की शुरुवात से आखिरी तक वो गुरुदासपुर से ही सांसद चुने जाते रहे. पंजाब के गुरुदासपुर से वे कुल चार बार सांसद चुने गए.

ओशो के अनुयायी बन गए थे विनोद खन्ना:
अपने करियर की पीक पर होने के बावजूद विनोद खन्ना ने फिल्म इंडस्ट्री से सन्यास ले लिया और 1982- 86 के दौरान ओशो के अनुयायी बन गए. वह अक्सर पुणे में ओशो के आश्रम जाते थे और ओशो से इस हद तक प्रभावित थे कि अपने कई शूटिंग शेड्यूल भी पुणे में ही रखवाए. कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विनोद संन्यास लेकर अमेरिका चले गए और ओशो के साथ करीब 5 साल गुजारे.

जाने विनोद खन्ना की कुछ खास बातें :
बॉलीवुड के सुपरस्टार विनोद खन्ना का जन्म 6 अक्टूबर 1946 को पेशावर में हुआ था. विनोद खन्ना के माता-पिता का नाम कमला और किशनचंद खन्ना था. साल 1947 में हुए भारत-पाक विभाजन के बाद उनका परिवार पेशावर से मुंबई आ गया था. साल 1960 के बाद की उनकी स्कूली शिक्षा नासिक के एक बोर्डिंग स्कूल में हुई. विनोद खन्ना ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरूआत साल 1968 में आई फिल्म “मन का मीत” से की. जिसमें उन्होंने एक विलेन का रोल किया था. बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता होने के साथ ही विनोद खन्ना एक सफल राजनेता भी थे. साल 1997 और 1999 में वे पंजाब के गुरदासपुर से भारतीय जनता पार्टी की ओर से सांसद चुने गए. विनोद खन्ना साल 2002 में संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री भी रहे. इतना ही नहीं सिर्फ 6 महीने बाद ही उनको अति महत्वपूर्ण विदेश मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री बना दिया गया. फिल्मों में अपने करियर की पीक के समय ही वो ओशो के अनुयायी बन गए थे.

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