कितना लड़ सकेगी बसपा, कांग्रेस और सपा से ….?

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    उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का उत्तर प्रदेश में गठबंधन फ़ाइनल हो गया है . इस गठबंधन से सपा और कांग्रेस कितना फायदा मिलेगा ये तो यूपी की जनता बताएगी फ़िलहाल
    इस गठबंधन में यह तय हुआ है की समाजवादी पार्टी 298 और कांग्रेस 105 सीटों पर चुनाव लड़ेगी .
    यह गठबंधन कांग्रेस और सपा दोनों के लिए आक्सीजन के तरह काम कर सकता है . अखिलेश को लगता था की भाजपा और बसपा से यूपी में लड़ कर फिर से सरकार बना पाना आसान नहीं होगा इसीलिए वह पहले से ही कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ने की बात कर रहे थे हालाँकि सपा के पूर्व सुप्रीमो इसके खिलाफ थे .
    इस गठबंधन को खड़ा करने का मुख्य मकसद भाजपा के सामने एक बड़ा सेकूलर मोर्चा बना कर सभी वर्ग के लोगो को अपने तरफ आकर्षित करना और बसपा की तरफ मुस्लिम मतों को जाने से रोकना भी है . उत्तर प्रदेश के राजनैतिक जानकारों के अनुसार अगर सपा से मुस्लिम मत खिसकते है तो सबसे बड़ा फायदा बसपा को ही होता है. जानकारों के अनुसार सपा और कांग्रेस के एक साथ आने मुस्लिम मतों के खिसकने की आशंका कम हो जाएगी और साथ ही और दलित वोटरों को भी अपनी तरफ आकर्षित किया जा सकेगा.
    जानकर बताते है कि सपा और बसपा से पहले मुस्लिम और दलित मत कांग्रेस को ही जाते थे. सपा को कांग्रेस के साथ जाने से दोनों को फायदा होगा और मुस्लिम मतों में बिखराव कम होगा.
    समाजवादी परिवार में हुए ड्रामे के बाद मुस्लिम वोटरों में पैदा हुई भ्रम की स्तिथि को देखते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी मुस्लिम वोटरों को आकर्षित करने की कोशिश की है और सबसे ज्यादा 97 उम्मीदवारों को टिकट दिया है. मायावती ने बसपा के वरिष्ठ नेता नसीमुद्दीन सिद्दकी के बेटे को मुस्लिम वोटरों को जोड़ने की बड़ी जिम्मेदारी दी हुई है और वो लगातार जनसभाएं और संपर्क करके मुस्लिम वोटरों बसपा की तरफ लाने की कोशिश कर रहे हैं .
    यूपी की राजनैतिक जानकारों का मानना है कि सपा और बसपा के गठबंधन के बाद बसपा का ही सबसे ज्यादा नुकसान होगा क्योकि दोनों दलों के आधार वोटों के मिलान के बाद गठबंधन के वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी होगी और मुस्लिम मत भी नहीं बिखरेंगे.
    अब के तत्काल परिस्तिथि को देखें तो लगता है कि भाजपा जहां इस चुनाव में नरेन्द्र मोदी के बड़े नाम को भुनाएगी तो कांग्रेस और सपा गठबंधन के मजबूत विकल्प को जनता के सामने लेकर जायेंगे वही बसपा अपने को मुस्लिमो के सबसे बड़े हितैषी के रुप मे चुनाव में ले जाएगी . बसपा सवर्ण वोटरों को भी अपने तरफ खीचने की खूब कोशिश कर रही है इसी फोर्मुले उसने सर्वजन हिताय सर्वजन सुखी का भी नारा दिया है और बसपा ने सवर्ण प्रत्याशियों को भी बड़ी संख्या में उतरा है .
    हालाँकि बसपा के लिए चुनौतिया कम नही हैं क्योकि बसपा के कुछ पुराने वफादार अब बगावाही हो चुके हैं और इस समय स्तिथि बहुत अच्छी नहीं दिख रही है.

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