सिविल सेवा में मेधावी लोग आते हैं इसलिए काम भी उसी तरह होना चाहिए: नरेन्द्र मोदी

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NEW DELHI: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को सिविल सर्विसिस दिवस पर अपने संबोधन के प्रतिस्पर्धा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि सरकार को बदलते परिदृश्य के साथ नियामक के बजाए समर्थक की भूमिका निभानी चाहिए. मोदी ने शुक्रवार को सिविल सर्विसेज दिवस पर नौकरशाहों को संबोधित करते हुए कहा कि “सिविल सेवा में मेधावी लोग आते हैं इसलिए काम भी उसी तरह होना चाहिए. पिछले 15-20 वर्षो में चीजें काफी बदली हैं. इस एक साल में गुणात्मक बदलाव होने चाहिए.” उन्होंने कहा कि ‘जितनी जल्दी हम अपनी कार्यशैली बदलेंगे, हमारे सोचने के तरीके में भी उतना ही बदलाव आएगा. हम जितना जल्दी नियामक के तौर पर अपनी भूमिका से बाहर आएंगे और एक समर्थक इकाई के रूप में विकसित होंगे, उतना बेहतर होगा.’

<strong>फाइलों के कई सालों तक लटके रहने पर बरसे मोदी:</strong>
सिविल सर्विसेज़ डे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अधिकारियों द्वारा कामों को करने में होने वाली लेट- लतीफी पर खूब बरसे और सवाल उठाया, उन्होंने विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में प्रशासनिक अधिकारियों से सवाल किया, “क्या कारण है कि 20-25 सालों से मामले अटके पड़े हैं…? दो मंत्रालयों के बीच फाइलें क्यों लटकी रहती हैं? सरकार के ही दो विभाग अदालत में क्यों झगड़ा करते हैं?”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब वह खुद बड़े सरकारी प्रोजेक्टों पर चर्चा करते हैं, तो बरसों से लटके हुए आठ-नौ लाख के सरकारी प्रोजेक्ट क्लियर हो जाते हैं. प्रधानमंत्री ने सभी अधिकारियों का आह्वान किया को वे इस बात पर आत्ममंथन करें कि ऐसा क्यों हो रहा है? क्या इसके पीछे की वजह अधिकारियों की व्यक्तिगत ईगो है या कमज़ोरियों को छिपाने की कोशिश की वजह से यह सब हो रहा है?

<strong>अगर काम करने का तरीका बदलेंगे तो चुनौतियां अवसर में बदल जाएंगी : नरेन्द्र मोदी</strong>
पीएम ने नौकरशाहों को संबोधित करते हुए कहा कि नौकरशाहों की चुनौतियां पहले से बढ़ गई हैं. पीएम ने कहा कि अगर काम करने का तरीका बदलेंगे तो चुनौतियां अवसर में बदल जाएंगी. मोदी ने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों को इस बात का आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि क्या उनका अनुभव एक बोझ बनता जा रहा है?

<strong>राजनीतिक इच्छाशक्ति सुधार ला सकती है: प्रधानमंत्री मोदी</strong>
नौकरशाहों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि राजनीतिक इच्छाशक्ति सुधार ला सकती है लेकिन अफसरशाही का काम और जनता की भागीदारी बदलाव ला सकती है. हमें इन सबको एकसाथ लाना होगा.’’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोर देकर कहा है कि सुधारों को लेकर राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी उनमें नहीं है. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि कुछ हटकर सोचा जाए और सरकार नियामक के तौर पर नहीं, बल्कि सक्षम बनाने वाली इकाई के तौर पर सामने आए.
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<p dir=”ltr” lang=”en”>On <a href=”https://twitter.com/hashtag/CivilServicesDay?src=hash”>#CivilServicesDay</a> I congratulate all the civil servants across India who have served &amp; are serving people in various capacities.</p>
— Narendra Modi (@narendramodi) <a href=”https://twitter.com/narendramodi/status/855359717505343488″>21 अप्रैल 2017</a></blockquote>
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