डीजल और पेट्रोल पर जीएसटी न लगने का ये है कारण ….

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अजय कुमार

NEW DELHI: जब सरकार एक देश एक टैक्स की बात करती हो और देश की आम जनता की पीड़ा को दूर कर उन्हें फायदा पहुंचाने की बात करती हो तो पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के अन्दर नहीं लाया जाना सवाल खड़े करता है. पेट्रोल और डीजल को अगर जीएसटी के दायरे में लाया जाता तो इसके दामों में लगभग 29% तक की कमी हो जाती. आम जनता को इसका सीधा लाभ मिलता. आपको यहाँ बताना जरुरी होगा कि नेचुरल गैस, कच्चा तेल, विमानन टरबाइन, पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है, लेकिन इसकी प्रोसेसिंग में इस्तेमाल होने वाले पदार्थों और उपकरणों को जीएसटी के दायरे के अन्दर रखा गया है.

पेट्रोलियम पदार्थों को क्यों रखा गया जीएसटी से बाहर :

पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी से बाहर रखने का मुख्य कारण ये है कि सरकारों की सबसे ज्यादा कमाई  इन्ही से होती है. अगर इनको जीएसटी के दायरे में रखा गया तो आम जनता और किसानों को लाभ होगा पर सरकार की कमाई पर इसका सीधा असर पड़ेगा और उसको घाटा होगा.

जानिए आम आदमी और किसानों को कैसे होता फायदा :  

पेट्रोल व डीजल पर केंद्रीय एक्साइज कर 23% व वैट 34% है, दोनों मिलाकर 57% होता है. अगर इन दोनों को जीएसटी के अन्दर लाया गया तो नियमानुसार अधिकतम टैक्स 28% ही लगता. टैक्स 28% लगने के कारण पेट्रोल व डीजल की कीमतों में लगभग 29% तक की कमी हो जाती जिसका अधिकतम लाभ आम जनता को मिलता.

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