लेबर कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी एंड वेलफेयर के नए प्रारूप का विरोध

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Faridabad: हरियाणा राज्य एटक के भारत सरकार के 16 मार्च के भारत के गज़ट में ड्राफ्ट लेबर कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी एंड वेलफेयर के नाम से प्रकाशित प्रारूप का तीव्र विरोध करती है. यह प्रारूप  178 पेज का है. असल में भारत सरकार का यह कदम ESIC और EPF में जमा मज़दूरों के अरबों रूपये हड़पने के अलावा कुछ नहीं है जिसे मजदूरों की सुविधाएँ काट कर दोनों संगठनों ने जमा किया था.

हरियाणा राज्य एटक के महासचिव बेचू गिरी ने प्रेस को जारी बयान में कहा है कि एटक और अन्य मज़दूर संगठनों की लगातार मांग रही है कि ESIC और EPF में मज़दूरों की सुविधाएँ बढ़ाते हुए व्यापक सुधर किये जाएँ. वैसे तो मज़दूरों के अंशदान की इस अपार राशि को खूर्द-बुर्द करने के लिए शुरू से ही मोदी सरकार के वित्त मन्त्री हर बजट में गिद्ध दृष्टि लगाए हुए उलटा सीधा प्रस्ताव करते रहे हैं. वेशक सदन में पास न होने के डर से पीछे हटते रहे हैं. अब जबकि सदन की संख्या का  गणित मोदी जी के पक्ष में होती जा रही है तो अब नंगा नाच शुरू हो गया है.

अपनी फेस सेविंग के लिए इसमें आंगनबाड़ी, आशा वर्कर्स और अन्य मज़दूरों को शामिल करने का प्रस्ताव है मगर इन असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों के लिए अंशदान कौन देगा?  इस पर ड्राफ्ट में कोई प्रावधान नहीं है. एटक समेत देश की सभी ट्रेड यूनियनों की मांग तो रही है कि असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों के सामाजिक सुरक्षा के लिए कानूनी प्रावधान किया जाये और भारत सरकार अपने बजट में इसका प्रबन्ध करे और बड़े औद्योगिक घराने पर भी इसके लिए टैक्स का प्रावधान किया जाये. भारत सरकार ने अपने लाड़ले कॉर्पोरेट हाउसेज़ पर सामाजिक सुरक्षा का भार देने की बजाय मज़दूरों के पैसे हड़पने की योजना पर अमल करना शुरू कर दिया है. राज्य एटक कल 19 अप्रैल को अपनी होने वाली मीटिंग में आंदोलन का निर्णय लेगी.

हरियाणा राज्य एटक प्रदेश के सभी मज़दूर संगठनों और अन्य से अपील करती है कि लिखित और आंदोलन चला कर इस ड्राफ्ट कोड का विरोध किया जाये मज़दूरों द्वारा दिए गए अंशदान का पैसा उनके लिए ही खर्च हो. साथ ही सरकार से मांग की जाये कि असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों के लिए भारत सरकार अलग से बजट में प्रावधान करके एक अलग बोर्ड के मार्फ़त सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराये.

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