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सूरजकुंड फरीदाबाद: 31 वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में प्रधान मंत्री के कैशलेस योजना का असर दिख रहा है और ज्यादातर स्टॉलों पर कैशलेस की सुविधा उपलब्ध। खास बात यह है कि मेले में अधिकतर ग्राहक और दुकानदार कैशलैस लेन-देन को प्राथमिकता दे रहे हैं। यानि अब अंतरार्ष्ट्रीय सूरजकुंड मेला कैशलेस हो गया है!
मेले में भारतीय हस्तकला और हथकरघा के कद्रदान मिल रहे हैं। विदेशी पर्यटक इन वस्तुओं की खरीदारी में खासी रूचि दिखा रहे हैं। शुक्रवार को मेले के तीसरे दिन यहां अच्छी भीड़ रही। शनिवार को लोगों की छुट्टी होने की वजह से ज्यादा भीड़ उमड़ेगी।
मेले को भव्य रूप देने के लिए इस वर्ष 250 अतिरिक्त स्टॉल लगाए गए हैं। इनकी संख्या बढक़र एक हजार हो गई है। मेले में देश के कोने-कोने से हस्तकला के पुजारी अपनी कलाकृतियां और अन्य सामान लेकर पहुंचे हैं।
थीम स्टेट झारखंड ने इस बार ज्यादा कलाकारों को मेले में बुलाया है। इनमें झारखंड की बैंबू आर्ट (बांस व बैंत) से बनाया गया फर्नीचर, छोटे मूढे और घरों में लगाया जाने वाला सजावटी सामान लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।
झारखंड के हथकरघा को भी मेले में खास स्थान दिया गया है। यहां के हथकरघा पर बुने गए वस्त्रों के लिए अलग से स्टाल लगे हैं। वहीं मेले में विदेशियों द्वारा भी अपने सामान के स्टाल लगाए गए हैं। श्रीलंका के स्टालों पर खासतौर पर भीड़ देखी जा रही है। इसके साथ ही मध्य एशियाई देशों कजाकिस्तान, तजाकिस्तान, कीर्गिस्तान और पार्टनर कंट्री मिश्र सहित कई अन्य देशों के हैंडीक्राफ्ट के स्टाल भी दर्शकों के आकर्षक केंद्र है।