नई दिल्ली : लॉकडाउन 4.0 की घोषणा के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दफ्तरों और कार्य स्थलों के लिए नई गाइडलाइन जारी की है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से लगातार रणनीति में बदलाव किया जा रहा है. नई गाइडलाइन के मुताबिक यदि किसी ऑफिस में एक या दो कोरोना वायरस के केस आते हैं तो पूरे दफ्तर को बंद करने की जरूरत नहीं है, हालांकि ऑफिस को पूरी तरह से डिसइनफेक्ट करना जरूरी होगा.
नई गाइडलाइंस में कहा गया है कि अगर ऑफिस के किसी स्टाफ को बुखार या फ्लू जैसा महसूस होता है, तो उसे घर पर आना चाहिए और डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. वहीं अगर ऑफिस का कोई भी स्टाफ किसी कंटेनमेंट जोन में रहता है, तो उसे वर्क फ्रॉम होम की इजाजत दे देनी चाहिए.
इसके अलावा सभी दफ्तरों को वर्चुअल मीटिंग पर जोर देना चाहिए. गाइडलाइंस के मुताबिक ऑफिस एक छोटा एरिया होता है, लोग आसपास बैठते हैं और कैफिटेरिया में आना जाना होता है. ऐसे में वायरस तेजी फैल सकता है. इसलिए सैनिटाइजर समेत अन्य सभी नियमों का पालन करना जरूरी है.
इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक और बात कही है कि यदि कोई भी व्यक्ति कार्यस्थल पर थूकता हुआ मिलेगा तो उसे दंड के साथ फाइन भी भरना पड़ेगा.
अगर किसी ऑफिस में कोरोना का कोई मामला आता है तो उसे तुरंत रिपोर्ट करना जरूरी है, ताकि इसे फैसले फैलने से रोका जा सके.
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी दिशा निर्देश:
दफ्तर में कर्मचारियों के बीच उचित दूरी बनाए रखना जरूरी. बैठने की व्यवस्था सहित कई बातों के लिए 1 मीटर की दूरी रहेगी जरूरी. मुंह को मास्क या कपड़े से ढकना जरूरी है. साबुन या हैंड सैनिटाइजर से थोड़े-थोड़े अंतराल पर हाथ साफ करने की सलाह दी गई है. बीमार होने की सूचना लोकल प्रशासन को देना अनिवार्य होगा. अगर किसी ऑफिस में किसी को कोरोनावायरस संक्रमण होता है तो पिछले 48 घंटे में जहां-जहां वह संक्रमित व्यक्ति गया होगा, उसे डिसइनफेक्ट करना जरूरी है. इसके बाद काम शुरू किया जा सकता है. दफ्तर या बिल्डिंग के पूरे हिस्से को सील करने की जरूरत नहीं है.
किसी ऑफिस या बिल्डिंग में कोरोना के कई केस आने की सूरत में पूरे दफ्तर को 48 घंटे के लिए सील किया जाएगा. जब तक उस ऑफिस को डिसइनफेक्ट कर सुरक्षित घोषित नहीं कर लिया जाता, तब तक सभी को वर्क फ्रॉम होम करना होगा.