नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन आज विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी बोर्ड के वर्ष 2020-21 के लिए अध्यक्ष निर्वाचित किए गए. कार्यकारी बोर्ड के 147वें सत्र की एक वचुर्अल बैठक में उन्हें निर्वाचित किया गया. डॉ हर्ष वर्धन जापान के हीरोकि नाकातानी का स्थान लेंगे.
कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष का दायित्व स्वीकार करने के तुरंत बाद डॉ हर्षवर्धन ने विश्व में कोविड-19 की महामारी से अपनी जान गंवाने वाले लाखों लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की.
इस अवसर पर डॉ हर्षवर्धन ने कहा ‘’मेरे प्रति आप सभी के विश्वास और भरोसे के लिए मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं, भारत और मेरे सभी देशवासी भी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं कि यह सम्मान हम सबको मिला है.”
कोविड-19 को एक बड़ी माननीय त्रासदी मानते हुए उन्होंने कहा अगले दो दशकों में कई चुनौतियां आ सकती हैं. इन सभी चुनौतियों से निपटने के लिए साझी कार्रवाई की आवश्यकता होगी.
डॉ हर्ष वर्धन ने कोविड-19 पर काबू पाने के भारत के अनुभवों को भी साझा किया. उन्होंने बताया कि भारत की मृत्यु दर केवल 3 प्रतिशत है.135 करोड़ के देश में केवल 0.1 मिलियन कोविड-19 के मामले हैं. हमारे रोगियों की स्वस्थ होने की दर 40 प्रतिशत से अधिक है और मामले दोगुना होने की दर 13 दिन है.
डॉ हर्ष वर्धन ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन इस सिद्धान्त में विश्वास करता है कि बिना किसी जाति, धर्म, राजनीतिक विश्वास, आर्थिक और सामाजिक स्थिति के भेदभाव के प्रत्येक मानव के मूल अधिकारों में से एक स्वास्थ्य के सर्वोत्तम मानक प्राप्त करना है.
डॉ हर्ष वर्धन ने कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष का पदभार संभालते हुए विश्व के भावी स्वास्थ्य परिदृश्य पर अपने विचार भी साझा किए.
उन्होंने कहा ‘’मेरा विश्वास है कि आर्थिक कार्य प्रदर्शन और मानव क्षमता बढ़ाने में स्वास्थ्य की अहम भूमिका है. यद्यपि जनस्वास्थ्य नीति प्रकृति के समुचित सूझबूझ पर आधारित होनी चाहिए. यह समग्र स्वास्थ्य और आरोग्य पर आधारित भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति का शीर्ष सिद्धांत है, जिसका मैंने अनुभव किया है और जिससे मैंने स्वास्थ्य लाभ लिया है .‘’
विश्व स्वास्थ्य संगठन से हर्षवर्धन का जुड़ाव पुराना है-
विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ लंबे समय तक जुड़े रहने का स्मरण करते हुए डॉ हर्ष वर्धन ने भारत में पोलियो के खिलाफ लड़ाई में विश्व स्वास्थ्य संगठन के सशक्त सहयोग और समर्थन के लिए अपना आभार व्यक्त किया. इस बारे में बोलते हुए डॉ हर्षवर्धन ने कहा ‘’यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मित्रों से सहयोग और मनोबल बढ़ाने में सहयोग नहीं मिला होता तो मैंने यह उपलब्धि हासिल नहीं की होती, जो मुझे मिली है. यदि आज भारत पोलियो मुक्त है तो मुझे यह स्वीकार करना होगा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की दृढ़ता और उद्यम के बिना ऐसा कभी संभव नहीं हो सकता था.”
आपको यहां बता दें कि डॉ हर्ष वर्धन विश्व स्वास्थ्य संगठन के पोलियो उन्मूलन पर महत्वपूर्ण विशेषज्ञ सलाहकार समूह और वैश्विक टेक्नीकल परामर्श समूह जैसी कई प्रतिष्ठित समितियों के सदस्य भी रहे हैं. उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन के सलाहकार के रूप में भी कार्य किया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी बोर्ड में तीन वर्ष के लिए निर्वाचित 34 तकनीकी योग्य सदस्य हैं इस बोर्ड के मुख्य कार्यों में स्वास्थ्य असेम्बली के निर्णयों और नीतियों का कार्यान्वयन और इसके काम में सलाह और सहायता देना है.
जानें डॉ हर्षवर्धन के बारे में यह बड़ी बातें-
डॉ हर्ष वर्धन के उल्लेखनीय करियर में यह एक और महत्वपूर्ण सम्मान है. उन्होंने गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज कानपुर से 1979 में चिकित्सा में स्नातक और 1983 में चिकित्सा में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की. वे 1993 से जनसेवा के कार्य से जुड़े हैं. 1993 में वह दिल्ली विधानसभा के पहली बार सदस्य चुने गए थे. वे लगातार पांच वर्ष के कार्यकाल के पांच बार विधानसभा के तब तक सदस्य रहे जब वे मई , 2014 में चांदनी चौक संसदीय क्षेत्र से 16वीं लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए. 1993 से 1998 के बीच उन्होंने दिल्ली के स्वास्थ्य, शिक्षा, विधि और न्याय तथा विधायी कार्य के मंत्री के रूप में कार्य किया. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के रूप में 1994 में पल्स पोलियो कार्यक्रम की पायलट परियोजना का सफल कार्यान्वयन किया जिसके तहत दिल्ली में तीन वर्ष तक की आयु के 12 लाख शिशुओं का टीकाकरण किया गया. इससे 2014 में भारत के पोलियो मुक्त बनने की बुनियाद रखी गई. उन्होंने धूम्रपान निषेध और गैर-धूम्रपान कर्ता स्वास्थ्य संरक्षण अधिनियम 1997 को पारित कराने और उसे लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस कानून का बाद में देश के विभिन्न राज्यों ने अनुसरण किया.
डॉ हर्ष वर्धन को 2014 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया. बाद में उन्हें केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान का मंत्री बनाया गया. वे पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भी रहे. वे चांदनी चौक संसदीय क्षेत्र से 17वीं लोकसभा के दोबारा सदस्य निर्वाचित हुए. उन्हें 30 मई, 2019 को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान का मंत्री बनाया गया.