AJAY KUMAR
NEW DELHI : उत्तर प्रदेश में शिक्षा के गिरते स्तर के लिए हाईस्कूल और इन्टरमीडिएट की परीक्षा में हो रही नक़ल बड़ी वजह है. वैसे तो नक़ल माफिया पूरे उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर कब्ज़ा किये हुए हैं लेकिन पूर्वांचल के जिलों में ऐसी व्यवस्थाएं धड़ल्ले से चल रही हैं. शिक्षा विभाग भले ही नक़ल रोकने के लाख दावे करता हो लेकिन अधिकतर स्कूलों/ कॉलेजों में छात्र- छात्राओं से नक़ल करवाने के लिए पैसे वसूलने की एक खास विंग तैयार की गयी है जो परीक्षा में नक़ल कराने का पूरा काम- काज देखती है. इमला बोल कर नक़ल करने की व्यवस्था से लेकर कॉपी लिखने तक की हर व्यवस्था, छात्र जैसी व्यवस्था चाहता है वैसी व्यवस्था कर दी जाती है बस उसके लिए अलग- अलग रेट तय किये गए हैं. अपने सूत्रों से JIOPOST.COM को पता चला है कि नक़ल के ठेकेदारों ने परीक्षा में नक़ल कराने के लिए ‘सुविधाशुल्क’ नाम से सेवाएं शुरू की हुई हैं. ‘सुविधाशुल्क’ के नाम पर स्कूलों/कॉलेजों में छात्र- छात्राओं से परीक्षा शुरू होने से पहले ही 500 से 2000 रुपये तक की धनराशि वसूल ली जाती है उसके बाद परीक्षा सेंटरों पर बातचीत करके नक़ल कराने के काम को अंजाम तक पहुचाया जाता है. 500 से 2000 रुपये की धनराशि में इमला बोलकर नक़ल करवाने, परीक्षार्थी तक पर्ची पहुचाये जाने या फिर किसी टीचर को खड़ा करके परीक्षार्थी का पेपर हल करवाने तक की व्यवस्था दी जाती है. अगर कोई छात्र कॉपी लिख पाने में असमर्थ है तो उसकी कॉपी लिखने की भी व्यवस्था भी नक़ल माफियाओं द्वारा कर दी जाती है उसके लिए 5000 से 8000 रुपये तक वसूल किये जातें हैं. प्रदेश भर में तमाम स्कूलों – कॉलेजों ने परीक्षा को पैसा कमाने का एक जरिया बनाया हुआ हैं. नाम न लिखने की शर्त पर एक छात्र ने JIOPOST.COM को बताया कि उसने सुविधाशुल्क जमा नहीं किया है तो उसके ऊपर शुल्क जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है. छात्र ने बताया कि उसको कमरों से बाहर फिल्ड में बैठाकर परीक्षा दिलाने तक की धमकी मिल रही है. गोरखपुर के बेलघाट में स्टूडेंट कोचिंग सेंटर चलाने वाले शिक्षक प्रमोद यादव कहतें हैं कि नक़ल से छात्रों का भविष्य बर्बाद हो रहा है साथ ही शिक्षा का स्तर भी गिर रहा है इसे रोकना बहुत जरुरी है अभिवावकों को खुद इसमें आगे आना चाहिये.