लालबत्‍ती हटाने की शुरुआत, रौब को लगा धक्का

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New Delhi: लालबत्‍ती बंद करने से नेताओं और अफसरों के रौब को धक्का लगा है. कई लोगों की लाल बत्ती में चलने की हसरत अधूरी रह गयी है. सरकार के पहल पर अमल शुरू हो गया है. कारों पर टिमटिमाती लालबत्‍ती जल्‍द ही इतिहास बनने जा रही है. रौब और रुतबे का पर्याय बन चुकी लालबत्‍ती के इस्‍तेमाल पर रोक लगने से न केवल दशकों पुराना वीवीआईपी कल्‍चर भी खत्‍म हो रहा है.

आइए आपको बताते हैं ब्रिटेन से आकर भारत में वीवीआईपी रुतबे का पर्याय बन चुकी लालबत्‍ती के बारे में ….

लालबत्‍ती की शुरूआत संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका में 1929 में हुई थी. अमेरिका में पुलिस की गाड़ियों पर लालबत्तियों का इस्‍तेमाल शुरु हुआ. 1930 तक ब्रिटेन और अन्‍य देशों में भी लालबत्‍ती का इस्‍तेमाल आपातकालीन सेवाओं में शुरु हुआ. धीरे धीरे ब्रिटेन और अमेरिका से भारत में भी लाल और नीली बत्‍ती का आयात होने लगा. विभिन्‍न देशों में कुछ विशेष वाहनों पर लाल बत्‍ती का उपयोग किया जाता था

जॉन और जेम्‍स की कंपनी ने बनाई पहली घूमने वाली लालबत्‍ती

दो भाइयों जॉन और जेम्‍स गिलक्रिस्‍ट की इलिनॉय स्थित अमेरिकी कंपनी फेडरल साइन एंड सिग्‍नल कॉर्पोरेशन ने सन 1948 में पहली घूमने वाली लालबत्‍ती बनाई. यह बत्‍ती 360 डिग्री तक घूम सकती थी. इस बत्‍ती को बीकन रे का नाम दिया गया. धीरे-धीरे 1960 तक ये लालबत्‍ती काफी लोकप्रिय हो गई . इसके बाद घूमने वाली लाल नीली रॉड बाजार में आने लगी.

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