आजमगढ़: तथागत सेवा समिति द्वारा आजमगढ़ में विश्वगुरु तथागत गौतम बुद्ध जयंती समारोह का आयोजन 10 मई को किया जा रहा है. इस समारोह के आयोजक रामजी मौर्य ने बताया कि इस समारोह का मकसद भगवान् बुद्ध के बताये रास्ते पर चलते हुए समता, करुणा, प्रज्ञा पर आधारित समाज के निर्माण के लिए सबको प्रोत्साहित करना है. उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रामदास मौर्य (डिप्टी कमिश्नर, वाणिज्य कर आजमगढ़) होंगे. अन्य अतिथियों में शिव बहादुर वर्मा , संतराम मौर्य, जितेन्द्र कुमार, डॉ. बाबूराम, रामसुधार मौर्य, रामधनी मौर्य, फौजदार आनंद साहित्यकार, डॉ. राजेंद्र प्रसाद यादव, सिद्धार्थनगर के पूर्व चिकित्साधिकारी डॉ. पलकधारी मौर्य सहित कई विशिष्ट लोग होंगे.
इस कार्यक्रम का आयोजन आजमगढ़ जिले के ग्राम पचरी डिहवा, पोस्ट- भगतपुर स्थित बौद्ध विहार में हो रहा है. आयोजक रामजी मौर्य ने लोगों से इस कार्यक्रम में पहुंचने की अपील की है.
यहां आपको बताते चलें कि ई.पू. 563 में जन्में गौतम बुद्ध ने जगत क्रिया की खोज की कि संसार की समस्त वस्तु परिवर्तनशील है. भगवान बुद्ध ने भटकती मानवता एवं उनके दुखों के कारणों का पता लगाया और उसके निदान का मार्ग भी बताया.
बोधि गया में बोधि वट के नीचे वैशाख पूर्णिमा के दिन उनको समस्त सांसारिक ज्ञान का बोध हुआ तब उन्होंने अपने नेत्र खोले और मौन बैठे रहे. उनके आभा मंडल को देखकर लोगों को लगा कि सिद्धार्थ ( बुद्ध) में शांति और क्रांति दोनों छुपी हुई है, इसके बाद लोगों द्वारा आग्रह करने पर बुद्ध ने सारनाथ में धम्मचक्र परिवर्तन का पहला उपदेश दिया.
26 जनवरी 1950 को संविधान निर्माता भारत रत्न भीमराव आंबेडकर ने बौद्धमय भारत का आधार स्तम्भ बड़ी मजबूती के साथ स्थापित कर दिया. मौर्य युगीन शासन प्राणाली पर आधारित प्रजातान्त्रिक संघात्मक संविधान एवं राष्ट्र ध्वज में चक्र और सम्राट अशोक की लाट को राज्यमोहर स्थापित कर दिया.
महान वैज्ञानिक आईन्स्टीन ने गौतम बुद्ध को ‘लाईट ऑफ़ एशिया’ कहा था. आईन्स्टीन ने यह भी कहा था कि बौद्ध धर्म ही एक ऐसा धर्म है जो दुनिया में लोगों के दिलों पर राज करता है.