New Delhi: योगेंद्र यादव की स्वराज अभियान किसान अधिकार यात्रा के अंतिम दिन तमिलनाडु में करूर और त्रिची जिले में रहा.
यात्रा के दौरान स्वराज अभियान को किसानों ने अपना दुखड़ा सुनाया. तमिलनाडु के किसानों ने किसान अधिकार यात्रा का दिल खोल के स्वागत किया. किसान इस बात से बहुत खुश थे कि उत्तर भारत से गाँधी जी के बाद दुबारा कुछ लोग हमारा दुःख बांटने के लिए आये हैं.
यहाँ के किसान सूखे की मार से बुरी तरह टूट गए हैं. यहाँ तक की उन्हें अपने जानवर भी बेचने पड़ रहे हैं.
इस दौरान किसानों ने बताया कि जिनके पास बोरवेल का प्रबंध है वो तो दो फसल पैदा कर पाते हैं. लेकिन जिन किसानों को वर्षा और कावेरी के पानी पर निर्भर रहना पड़ता है वो किसान मुश्किल से एक फसल पैदा कर पाते हैं.
पशु बेचने को मजबूर
कानंदकुड़ी में किसानों को चारे के अभाव में पशुओं को बेचने पे मजबूर होना पड़ रहा है जबकि अलनकुड़ी के किसान 50 रुपया प्रति पशु चारा खरीद रहे हैं. जो किसान पशुओं को बेचने के लिए मजबूर हैं वो उसकी पर्याप्त कीमत नहीं पा रहे हैं. जहां पहले अमूमन एक पशु 45000 का बिकता था वहीं अब उसकी कीमत मात्र 10000 रह गयी है.
प्रीमियमम देने के बाद भी नहीं मिला क्लेम
फसल बीमा योजना का प्रीमियमम तो किसानों ने भर दिया है लेकिन उन्हें क्षतिपूर्ति का क्लेम अभी तक नही मिल पाया है. कानंदगुड़ी में किसानों का कहना है कि सरकारी बैंकों से जरूरत के मुताबिक लोन न मिल पाने पर वो साहूकारों से उच्च ब्याज दर पे लोन लेने को मजबूर हैं. सूखे से प्रभावित किसानों ने KCC या अन्य योजनाओं से जो भी लोन लिया है उसे भरने के लिए किसानों को लगातार नोटिस जारी किया जा रहा है.
गाँव में एक भी हैंडपम्प नहीं
यात्रा के दौरान स्वराज अभियान एक ऐसे गाँव पहुँचा जहाँ एक भी हैंडपम्प नहीं है. यह एक नेदार नाम का दलित गाँव है. स्वराज अभियान ने तुरंत मुख्य सचिव को एक अर्ज़ी लिखी कि यहाँ हैंडपम्प कि व्यवस्था की जाए. इस अर्ज़ी को तुरंत गाँव के लोगों की ओर से मुख्य सचिव तक पहुँचाया जाएगा.