नोटबंदी से परेशान हैं तो ये खबर आपके काम की है …

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    AJAY KUMAR

    New delhi: आठ नवम्बर को अचानक से हुई नोटबंदी आपके सामने भी कुछ परेशानियां जरुर आई होंगी. बैंकों की लम्बी लम्बी कतारों में लगकर पहले अपने पुराने नोट जमा करवाना, पुराने नोटों को बदलना ,एटीएम की लम्बी कतारों सुबह से लेकर शाम तक खड़े रहना. नोटबंदी के दौरान बैंकों के तमाम नियमो में बहुत से बदलाव भी देखने को मिले हर दिन आपके सामने एक नया नियम नई परेशानी लेकर खड़ा रहता था.

    अब आपकी सारी परेशानिययां दूर होने वाली हैं. जी हां आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास का दावा है कि बाजार में नई मुद्रा लानें की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है साथ ही दास ने कहा है की अब निकासी पर कोई रोक नहीं है. बचत खातों से सप्ताह में चौबीस हजार रुपये की निकासी सीमा को छोड़कर बाकी सभी पाबंदियां हटा ली गई हैं. चौबीस हज़ार रुपये की निकासी की पाबन्दी को भी अब जल्द ही हटा लिया जायेगा लेकिन इसके बारे में कोई फैसला आरबीआई ही करेगा क्योंकि प्रबंधन और आपूर्ति की जिम्मेदारी आरबीआई की ही होती है. दस ने आगे कहा कि बहुत कम ही लोग हैं जो खाते से महीने में एक लाख रुपये निकलते हैं इसलिए कहा जा सकता है की अब कोई पाबन्दी नहीं बची है. दास ने आगे अपने काम की तारीफ करते हुए कहा कि नोटबंदी के बाद नब्बे दिनों से भी कम समय में ही बाजार में मुद्रा लौटने की प्रक्रिया को लगभग पूरा कर लिया गया है इसी से पता चलता है कि काम कितना तेजी से हुआ है. दास ने आगे कहा की अब कोशिश होगी कि लोगों को ज्यादा से ज्यादा छोटे नोट मुहैया करवाए जाएं.

    आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास के दावे कि सभी पाबंदिया हटा ली गयी हैं के बाद ऐसा लगता है की लोगों की परेशानियाँ कुछ हद तक दूर हो जायेंगी.

    गावों में अभी तक नहीं सुधारें है हालात :

    शहरी क्षेत्रों में तो नोटबंदी के बाद खड़ी हुई मुद्रा की समस्याओं पर बहुत हद तक नियंत्रण पा लिया गया है लेकिन भारत के ग्रामीण इलाकों में समस्यायें अभी कम नहीं हुई है. ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ परेशानियां तो कैश न पहुच पाने से हैं बाकि परेशानियां बैंकों के कर्मचारियों की वजहों से हैं ग्रामीण क्षेत्रों के बैंकों के कर्मचारी आरबीआई के नियम के बाद अपने अलग नियम बना कर काम कर रहें हैं जिससे लोग परेशान हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी लोगों को सुबह से शाम तक लाईन में खड़ा रहने के बाद कभी एक हजार तो कभी दो हजार रुपयों से ही संतोष करना पड़ रहा है. गोरखपुर के बेलघाट के रहने वाले रुद्रेश मिश्र का कहना है कि बैंकों के कर्मचारी गाँव में जानबूझ कर समस्याएं बढ़ाए हुए हैं अपने जानकारों को पर्याप्त पैसा उपलब्ध करवाने के चक्कर में बैंकों के कर्मचारी लोगो को बिना पैसा दिए ही वापस भेज दे रहे हैं और फिर सारा पैसा अपने लोगों को दे दे रहें हैं.

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