अखिलेश की वजह से बीजेपी को ‘याद’ आये ‘मछुआरे’

पहले अखिलेश यादव ने ‘निषाद कार्ड’ खेलकर निषादों को अपने पाले में लाने को कोशिश की और अब भाजपा ने भी निषाद वोटरों को अपने पक्ष में लामबंद करने के लिए मछुआरा सम्मेलन का आयोजन किया है.

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नई दिल्ली: गोरखपुर उपचुनाव में भाजपा और सपा के बीच जबरदस्त टक्कर देखने को मिल सकती है. समाजवादी पार्टी के ‘निषाद कार्ड’ की तोड़ ढूंढने के लिए अब भाजपा गोरखपुर में मछुआरा सम्मलेन का आयोजन कर रही है.

भारतीय जनता पार्टी निषादों को रिझाने लिए आज गुलरिहा में मछुआरा सम्मेलन आयोजित करेगी. मछुआरा सम्मेलन की अध्यक्षता भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे खुद करेंगे.

गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र में निषाद वोटरों की बहुलता को देखते हुए सभी पार्टियां निषादों को रिझाने का भरसक प्रयास कर रही हैं. पहले अखिलेश यादव ने ‘निषाद कार्ड’ खेलकर निषादों को अपने पाले में लाने को कोशिश की और अब भाजपा ने भी निषाद वोटरों को अपने पक्ष में लामबंद करने के लिए मछुआरा सम्मेलन का आयोजन किया है.

भाजपा ने इससे पहले निषाद वोटों की अहमियत को ध्यान में रखते हुए पूर्व विधायक जयप्रकाश निषाद सहित निषाद समुदाय के कई नेताओं और ग्राम प्रधानों को पार्टी में शामिल कराया है.

भाजपा के मछुआरा सम्मलेन आयोजित करने के ये हैं कारण-

जानकारी के अनुसार मंडल में सर्वाधिक निषाद मतदाता गोरखपुर संसदीय क्षेत्र में ही हैं. गोरखपुर संसदीय क्षेत्र में निषादों की संख्या तीन से साढ़े तीन लाख के आस पास बताई जाती है. गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रवीण कुमार निषाद को टिकट देकर ‘निषाद कार्ड’ खेला है. प्रवीण कुमार ‘निषाद पार्टी’ के अध्यक्ष संजय कुमार निषाद के पुत्र हैं, जिनकी पकड़ निषाद वोटरों पर अच्छी मानी जाती है.

भाजपा को डर है कि कहीं निषाद, मुस्लिम और सपा के परंपरागत वोटर मिलकर भाजपा का खेल ना खराब कर दें इसलिए भाजपा भी अपनी तरफ से कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाह रही है. मछुआरा सम्मलेन जैसे आयोजन करके भाजपा इस समुदाय को रिझाने का प्रयास कर रही है.

वरिष्ठ पत्रकार वेद रत्न शुक्ल कहते हैं कि “गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र में सर्वाधिक वोटर निषाद ही हैं. इसलिए सभी की नजर निषाद वोटरों पर ही है. इस सीट पर सपा हमेशा निषादों पर ही अपना दांव लगाती रही है और उसको निषादों का समर्थन भी मिलता रहा है. जब जमुना निषाद यहां से लड़ा करते थे तो योगी आदित्यनाथ को एक-दो बार उन्होंने कड़ी टक्कर दी थी. एक बार तो जीत का अंतर बहुत कम लगभग पंद्रह-बीस हज़ार का था लेकिन बाद के चुनावों में मानीराम, पिपराइच और खोराबार क्षेत्रों में निषाद वोटरों पर योगी आदित्यनाथ की अच्छी पकड़ बनी और लगातार वे यहां से जीतते रहे. सपा नें डॉ. संजय निषाद के पुत्र को आनन-फानन में पार्टी ज्वाइन कराकर यहाँ से टिकट दे दिया इस तरह सपा फिर एक बार ‘निषाद कार्ड’ खेल रही है जिसके तोड़ में भाजपा मछुआरा सम्मलेन कर रही है.”

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