गोरखपुर: चहेते को नहीं दिला सके पोखरे का पट्टा तो दो महीने से चयनित पात्र को दौड़ा रहे अधिकारी

अपने चहेते को पोखरे का पट्टा दिलाने की कोशिश में लगे हैं अधिकारी , फरवरी में हुई थी बोली बिना किसी वाजिब कारण फिर से नीलामी की प्रक्रिया सम्पन्न करवाकर प्रधान को पट्टा देना चाह रहे हैं अधिकारी.

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गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार रोकने की चाहे कितनी भी कोशिश कर लें लेकिन अधिकारी हैं कि अपनी आदत से बाज नहीं आ रहे हैं.

योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद में ही रिश्वत के चक्कर में अधिकारी चालाकी से नियमों की अनदेखी कर रहें हैं और नियम विरूद्ध मनमाने तरीके से काम कर रहे हैं, जिससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड रहा है.

मामला खजनी तहसील के अंतर्गत आने वाले बभनौली ग्राम सभा के पोखरे के पट्टे की नीलामी का है. जहाँ आरोप है कि अधिकारी अपने चहेते ग्राम प्रधान को मत्स्य पालन के लिए पट्टा दिलवाने की कोशिश में लगे हुए हैं. और नियमों की अनदेखी कर पूर्व में हुई नीलामी को रद्द कर, पुनः नीलामी करवाकर पट्टा प्रधान को देना चाह रहे हैं.

दिनांक 02.02.2018 को तहसील खजनी में पट्टे की नीलामी के लिए शिविर लगा था. शिविर में शासन द्वारा तय मानकों के आधार पर बभनौली के पोखरे के लिए संदीप गौड़ नाम के व्यक्ति को प्राथमिकता के आधार पर चयनित किया गया था, लेकिन आरोप है कि अधिकारियों ने प्रधान के पक्ष से रिश्वत लेकर मामले को लटकाए रखा और चयनित अभ्यर्थी को लगभग दो माह से अधिक समय तक दौडाते रहे. और अब पुनः बोली की प्रक्रिया करवाने की कोशिश में लगे हुए हैं.

संदीप गौड़ कहते हैं कि ‘बभनौली के पोखरे के लिए प्रधान भागीरथी के पुत्र और मेरे सहित कुल चार लोगों ने आवेदन किया था जिसमें प्रथम वरीयता का मत्स्य पालक होने के नाते और जाति का कहार होने के नाते मुझे वरीयता मिली और मेरा चयन कर लिया गया. प्रधान को पोखरे का पट्टा नहीं मिला इस कारण प्रधान ने अधिकारियों से पैसे का लेन देन कर लिया और आपत्ति कर दी.

संदीप गौड़ का कहना  है कि बिना किसी वाजिब कारण के उनके पट्टे को अधिकारियों द्वारा निरस्त कर फिर से नीलामी करवाए जाने और पट्टा प्रधान के नाम करने की कोशिश की जा रही है.

 

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