लॉकडाउन के फ़रिश्ते : योगिता भयाना की मदद से अपनी मां के अंतिम संस्कार में दिल्ली से बिहार पहुंचा मुकेश

लॉकडाउन खत्म हो जाएगा, कोरोना भी थोड़े दिनों में चला जाएगा लेकिन इस बुरे दौर में मानवता के लिए जो काम सोशल एक्टिविस्ट योगिता भयाना नें किया उसे कौन भूल पायेगा? कोई भूल भी जाए पर मुकेश शायद कभी नहीं भूल पायेगा.

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योगिता भयाना

नई दिल्ली. कोरोना वायरस संक्रमण रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन ने सबको अपने घरों में रहने को विवश कर दिया है. ऐसे वक्त में भी कुछ लोग ऐसा काम कर रहे हैं जिसे मिसाल के तौर पर लंबे समय तक याद किया जाता रहेगा. लॉकडाउन खत्म हो जाएगा, कोरोना भी थोड़े दिनों में चला जाएगा लेकिन इस बुरे दौर में मानवता के लिए जो काम सोशल एक्टिविस्ट योगिता भयाना नें किया उसे कौन भूल पायेगा? कोई भूल भी जाए पर मुकेश शायद कभी नहीं भूल पायेगा.

ये कहानी मुकेश उर्फ़ टीपू की है. उस मुकेश की जो बिहार के भागलपुर का रहने वाला है और जीवन यापन के लिए दिल्ली में जाकर मजदूरी करने का काम करता है. बाकियों की तरह मुकेश भी लॉकडाउन के दौरान दिल्ली में फंस जाता है. 30 मार्च को उसे उसकी मां के मौत की मनहूस खबर मिलती है. भागलपुर में थ्रेशर से कटकर उसके मां की मौत हो गई. लॉक डाउन के दौरान अपनी मां के अंतिम संस्कार में वह घर कैसे पहुंचे? यह बड़ी परेशानी थी. मुकेश उर्फ़ टीपू न सिर्फ एकलौती संतान था बल्कि अकेला सदस्य भी. इसलिए घर पहुंचना भी बेहद जरूरी था. यातायात के सारे साधन बंद.. सारे रास्ते बंद! न कोई नेता मदद कर रहा था न अधिकारी.

लॉकडाउन के दौरान सोशल एक्टिविस्ट योगिता भयाना सराय काले खां पेट्रोल पम्प के पास जरुरतमंदों को खाना खिला रही थीं. वहीँ मुकेश किसी से बात करके जोर-जोर से रो रहा था. योगिता उसके पास पहुचीं और उसके रोने का कारण जानना चाहा. वह कुछ बोलने की स्थिति में नहीं था. बगल में बैठे उसके साथी नें योगिता को बताया कि थ्रेशर से कटकर मुकेश की मां का देहांत हो गया है. उन्होंने उस लड़के को पानी पिलाकर चुप कराया.

भयाना नें रोते हुए उस लड़के का वीडियो बनवाकर मदद की अपील के साथ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को टैग कर ट्विटर पर पोस्ट किया.

योगिता का यह ट्वीट ट्वीटर पर हजारों बार रीट्वीट किया गया. तेजस्वी यादव, संजय झा, पप्पू यादव, तेज प्रताप यादव और डा.उदित राज सहित कई नेताओं ने भी रीट्वीट किया.

पप्पू यादव ने मौके पर पहुंचकर पांच हजार रूपये की मदद भी की. 31 मार्च की सुबह बिहार प्रशासन की तरफ से मदद के लिए बिहार भवन के रेजिडेंस कमिश्नर से जाकर मिलने का मैसेज आया. योगिता भयाना जाकर मिलीं और रेजिडेंस कमिश्नर ने लॉकडाउन में बिहार जाने का पास जारी कर दिया लेकिन, मुकेश को घर पहुचाने के लिए गाड़ी की कोई व्यवस्था नहीं हो पाई. सरकारी गाड़ी नहीं मिली.

जब गाड़ी कहीं से नहीं मिली तो योगिता ने अपनी गाड़ी से मुकेश को बिहार पहुचाने का जिम्मा उठाया. योगिता के भाई हेमंत भयाना आगे आये, उनके साथ और रोहित कुमार भी पीड़ित लड़के को बिहार तक छोड़ने का फैसला किया. गोपालगंज के एसपी और भागलपुर के एसएसपी ने भी सहायता की. एक अप्रैल की रात को मुकेश अपनी मां के दाह संस्कार में शामिल हो पाया. इस अमूल्य सहयोग के लिए बिहार के कई अखबारों में योगिता की प्रशंसा हुई है. नेताओं ने भी फोन किया है. वैसे योगिता महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों की लड़ाई लड़ने के लिए जानी जाती हैं.

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