बीपीपीआई ने पीएम केयर्स फंड में दिए 25 लाख रुपये

बीपीपीआई ने पीएम केयर्स फंड में दिए 25 लाख रुपये. केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री डी. वी. सदानंद गौड़ा को आज नई दिल्ली में फार्मा सचिव पी. डी. वाघेला ने 25 लाख का चेक प्रदान किया.

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photo- PIB

नई दिल्ली:  कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में सरकार को समर्थन देने के लिए रसायन और उर्वरक मंत्रालय के औषध विभाग के अधीन आने वाली भारतीय औषध सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम ब्यूरो (बीपीपीआई) ने पीएम केयर्स फंड में 25 लाख रुपये का योगदान दिया है.

रसायन और उर्वरक मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना के तहत काम करने वाले केंद्र देश को आवश्यक सेवाएं प्रदान कर रहे हैं. पीएमबीजेपी की कार्यान्वयन एजेंसी, भारतीय औषध सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम ब्यूरो (बीपीपीआई) संचलन के सभी क्षेत्रों की स्थिति पर करीबी नजर रखे हुए है.

रसायन और उर्वरक मंत्रालय का कहना है कि इस चुनौतीपूर्ण समय में बीपीपीआई अपनी प्रतिबद्धता के तहत प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र निरंतर अपनी सेवाएँ दे रहे हैं. लॉकडाउन और चुनौतीपूर्ण समय के बावजूद बीपीपीआई का बिक्री कारोबार अप्रैल 2020 में 52 करोड़ रुपये रहा जबकि मार्च 2020 में कुल बिक्री 42 करोड़ रुपये थी.

मंत्रालय द्वारा जानकारी दी गई है कि पीएमबीजेपी की उत्पाद सूची में एनएलईएम में लैब रेजिस्टेंट और स्टेंट को छोड़कर सूचीबद्ध सभी आवश्यक दवाएं शामिल हैं. वर्तमान मांग के अनुरूप बीपीपीआई में फेस मास्क, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, पैरासिटामोल और एज़िथ्रोमाइसिन का पर्याप्त स्टॉक है. बीपीपीआई ने मार्च और अप्रैल 2020 में लगभग 6 लाख फेस मास्क तथा 50 लाख हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन टैबलेट की बिक्री की है. इसके अलावा, 60 लाख हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन टैबलेट्स की खरीद के ऑर्डर भी दे दिए गए हैं. बाजार की मौजूदा मांग को देखते हुए, बीपीपीआई ने इन दवाओं की खरीद के आदेश दिए हैं ताकि अगले छह महीनों के लिए दवाओं का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध रहे.

केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री डी. वी. सदानंद गौड़ा को आज नई दिल्ली में फार्मा सचिव पी. डी. वाघेला ने 25 लाख का चेक प्रदान किया. इस अवसर पर बीपीपीआई के सीईओ सचिन सिंह, फार्मा के जे. एस. रजनीश तिंगल, फार्मा के जेएस नवदीप रिनवा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे. बीपीपीआई के कर्मचारियों और जनऔषधि केंद्रों के मालिकों व वितरकों द्वारा इस धनराशि में योगदान दिया गया था.

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