22 मई को हल्ला बोल प्रदर्शन करेंगे कर्मचारी, जानिए क्या-क्या है मांग

मजदूरों की सड़क एक्सीडेंट में हुई दर्दनाक मौत पर आश्रितों को 50-50 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग

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नई दिल्ली। केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों एवं कर्मचारी संघों के संयुक्त आह्वान पर सभी विभागों के कर्मचारी 22 मई को हल्ला बोल प्रर्दशन करेंगे. सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के बैनर तले कर्मचारी अपने अपने विभागों में शारीरिक दूरी का पालन करते प्रर्दशन करेंगे और केन्द्र एवं राज्य सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र को निजीकरण के लिए खोलने, श्रम कानूनों को समाप्त करने और कर्मचारियों की जबरन वेतन कटौती करने,डीए व एलटीसी बन्द करने के खिलाफ हल्ला बोला जाएगा.

यह निर्णय सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के जिला अध्यक्ष अशोक कुमार की अध्यक्षता में यहां आयोजित जिला कार्यकारिणी की लिया गया। जिला सचिव बलबीर सिंह बालगुहेर द्वारा संचालित इस मीटिंग में सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेश कुमार शास्त्री, हरियाणा टूरिज्म कर्मचारी संघ के महासचिव युदबीर सिंह खत्री व मैकेनिकल वर्कर यूनियन के राज्य कमेटी के नेता अतरसिंह केशवाल आदि मौजूद थे।

मीटिंग में सरकार की गल्त नीतियों के कारण पैदल अपने घरों को जा रहे मजदूरों की सड़क एक्सीडेंट में हुई दर्दनाक मौत पर दुख व्यक्त करते हुए श्रृद्धांजलि अर्पित की गई और पलायन रोकने के लिए मजदूरों के खातों में 7500 रुपए मासिक डालने और मृतकों के आश्रितों को 50-50 लाख रुपए मुआवजा देने की मांग की।

मीटिंग में 2015 में शुरू की गई 1035 टीजीटी (अंग्रेजी) और 503 अन्य पदों पर अंतिम चरण में पहुंच चुकी भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने की बजाय नव चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने की मांग की गई और पीटीआई की दोबारा भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की बजाय सेवा सुरक्षा प्रदान करने की मांग की गई। मीटिंग में टूरिज्म के ठेका कर्मचारियों की छंटनी करने और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए अभी तक गेहूं खरीदने के लिए ब्याज मुक्त ऋण देने का पत्र जारी न करने की निंदा की गई।

प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने मीटिंग में बोलते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा था कि सरकार ने इस महामारी को एक अवसर के तौर पर लिया है। इसी के अनुरूप केन्द्र सरकार ने कोरोना महामारी की आड़ में सभी सरकारी विभागों को निजिकरण के लिए खोलने का निर्णय लिया है। जिसका फायदा बड़े पूंजीपतियों को मिलेगा। जन सेवाएं बाजार के हवाले होगी।

उन्होंने कहा कि आर्थिक मंदी से उबारने के लिए मांग पैदा करने की आवश्यकता है और मांग तब पैदा होगी,जब लोगों की खरीद की ताकत बढ़ेगी, लेकिन सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से ऐसा होने वाला नहीं है। उन्होंने बताया कि केन्द्र व राज्य सरकार श्रम कानूनों को समाप्त करने, कर्मचारियों के वेतन कटौती करने, महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी व एलटीसी पर रोक लगाने में जुटी हुई । उन्होंने कहा कि पूंजीपतियों को फ्री हैड देने के लिए श्रम कानूनों की समाप्ति के बाद मजदूरों को बंधवा मजदूर तरह काम करने पर मजबूर होना पड़ेगा।

काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 करने से बेरोजगारी भी बढ़ेगी और कार्य की गुणवत्ता में भी कमी आएगी। उन्होंने कहा कि बिजली संशोधन बिल का अभी ड्राफ्ट जारी हुआ है और 5 जून तक सभी राज्यों एवं अन्य स्टेक होल्डर्स से सुझाव आमंत्रित किए हुए हैं। लेकिन सरकार ने सभी केन्द्र शासित प्रदेशों में बिजली वितरण प्रणाली को निजी हाथों में सौंपने का असंवैधानिक ऐलान कर दिया। इस बिल के खिलाफ 1 जून को आयोजित होने वाले अखिल भारतीय काला दिवस का भी मीटिंग में समर्थन करने का निर्णय लिया गया।

मीटिंग में रमेशचंद्र तेवतिया, गांधी सहरावत, कृष्ण कुमार, देवराज शर्मा, अतर सिंह केशवाल, दर्शन सिंह सोहा, राकेश चिंडालिया, मुकेश बैनिवाल व रघुवीर चौटाला, अशोक कुमार, सुमित आदि मौजूद थे।

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