New Delhi: पीएम ने अपने मन की बात में कहा कि अमीर ख़ुसरो ने मौसम के इस बदलाव के पलों का बड़ा मज़ेदार वर्णन किया है, अमीर ख़ुसरो ने लिखा है- “फूल रही सरसों सकल बन, अम्बवा फूटे, टेसू फूले, कोयल बोले, डार-डार”
जब प्रकृति ख़ुशनुमा होती है, मौसम सुहावना होता है; तो इंसान भी इस मौसम का पूरा लुत्फ़ उठाता है. वसन्त पंचमी, महाशिवरात्रि और होली का त्योहार इंसान के जीवन में ख़ुशियों के रंग डालता है. प्रेम, भाईचारा, मानवता से ओत-प्रोत वातावरण में हम आख़िरी महीने फाल्गुन को विदा करने वाले हैं और नये मास चैत्र का स्वागत करने को तैयार बैठे हैं, वसन्त ऋतु इन्हीं दो महीनों का तो संयोग है.
इसरो की ऐतिहासिक उपलब्धि
एक साथ 104 सेटेलाईट को अन्तरिक्ष में भेजकर इतिहास रचने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया. ये भी खुशी की बात है कि यह लगातार 38वाँ पीएसएसएलवी का सफल लांच है. यह न केवल इसरो के लिये, बल्कि पूरे भारत के लिये एक ऐतिहासिक उपलब्धि है.
भारत ने एक बहुत बड़ी सिद्धि प्राप्त की है. इस बात की ज़्यादा अभी चर्चा नहीं हुई है, लेकिन शोभा जी का ध्यान गया है इस महत्वपूर्ण बात पर. भारत ने रक्षा के क्षेत्र में भी Ballistic Interceptor Missile का सफल परीक्षण किया है. इंटरसेप्तसन टेक्नोलॉजी वाले इस मिसाइल ने अपने ट्रायल के दौरान ज़मीन से क़रीब-क़रीब 100 किलोमीटर की ऊँचाई पर दुश्मन की मिसाइल को ढेर करके सफलता अंकित कर दी. सुरक्षा के क्षेत्र में ये बहुत ही महत्वपूर्ण सिद्धि है. आपको जान करके ख़ुशी होगी, दुनिया के मुश्किल से चार या पाँच ही देश हैं जिन्हें ये महारत हासिल है. भारत के वैज्ञानिकों ने ये करके दिखाया, और इसकी ताक़त ये है कि अगर 2000 किलोमीटर दूर से भी, भारत पर आक्रमण के लिये कोई मिसाइल आती है, तो ये मिसाइल अन्तरिक्ष में ही उसको नष्ट कर देती है.
इसी महीने आयोजित ब्लाइंड वर्ल्ड कप टी-20 में भारत ने पाकिस्तान को हराते हुए लगातार दूसरी बार वर्ल्ड चैंपियन बन करके देश का गौरव बढ़ाया. मैं एक बार फिर से टीम के सभी खिलाड़ियों को बधाई देता हूँ. देश को हमारे इन दिव्यांग साथियों की उपलब्धि पर गर्व है. मैं ये हमेशा मानता हूँ कि दिव्यांग भाई-बहन सामर्थ्यवान होते हैं, दृढ़-निश्चयी होते हैं, साहसिक होते हैं, संकल्पवान होते हैं. हर पल हमें उनसे कुछ-न-कुछ सीखने को मिल सकता है.
‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ और महिला दिवस
8 मार्च पूरा विश्व महिला दिवस मनाता है. भारत में भी बेटियों को महत्व देने, परिवार और समाज में उनके प्रति जागरूकता बढ़े, संवेदनशीलता बढ़े. ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ ये आन्दोलन तेज़ गति से आगे बढ़ रहा है. आज ये सिर्फ़ सरकारी कार्यक्रम नहीं रहा है. ये एक सामाजिक संवेदना का, लोकशिक्षा का अभियान बन गया है. विगत दो वर्षों के दौरान इस कार्यक्रम ने आम जनमानस को जोड़ लिया है, देश के प्रत्येक कोने में इस ज्वलंत मुद्दे पर लोगों को सोचने पर मजबूर किया है और बरसों से चले आ रहे पुराने रीति-रिवाज़ों के प्रति लोगों की सोच में बदलाव लाया है. जब ये समाचार मिलते हैं कि बेटी के जन्म पर उत्सव मनाया गया, इतना आनंद आता है. एक प्रकार से बेटियों के प्रति सकारात्मक सोच सामाजिक स्वीकृति का कारण बन रही है. मैंने सुना है कि तमिलनाडु राज्य के कुड्डालोर ज़िले ने एक विशेष अभियान के तहत बाल-विवाह पर रोक लगाई. अब तक क़रीब 175 से ज़्यादा बाल-विवाह रोके जा चुके हैं.