नई दिल्ली. उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का आज जन्मदिन है. वो जिंदगी के 72 बसंत देख चुके हैं, लेकिन उनकी सियासी सक्रियता अब भी कायम है. उत्तराखंड की वादियों से लेकर दिल्ली और असम तक में देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की नीति और नीतियों को पहुंचाने में जुटे हुए हैं. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के साथ-साथ उनके पास पूर्वोत्तर के सबसे अहम राज्य असम का प्रभार भी है. वे कांग्रेस के वफादार सिपाहियों में से एक हैं. कांग्रेस के मूल विचारों के साथ आधुनिकता भी अपनाने के समर्थक हैं. आईए उनके राजनीतिक सफर पर एक नजर डालते हैं.
अल्मोड़ा के चौनलिया में 27 अप्रैल 1948 को जन्में रावत का राजनीतिक कॅरियर बहुत उतार-चढ़ाव वाला रहा है. उन्होंने वकालत की पढ़ाई की है. वो इतने कद्दावर हैं कि मुरली मनोहर जोशी जैसे नेता को भी हरा चुके हैं. 1973 में कांग्रेस की जिला युवा इकाई के सबसे कम उम्र के प्रमुख चुने जाने का उन्होंने रिकॉर्ड बनाया था. 1980 में पहली बार वे ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने. अपने अब तक के सफर में वे पांच बार सांसद बन चुके हैं. लेकिन मुख्यमंत्री का पद उन्हें 2016 में मिला. वे देश के कृषि मंत्री का पद भी संभाल चुके हैं. आप चाहें तो कृषि क्षेत्र के बारे में उनसे लंबी बातचीत कर सकते हैं. वो इसमें काफी दिलचस्पी लेते हैं.

2022 के विधानसभा चुनाव में हो सकती है बड़ी भूमिका
-उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव 2022 में होंगे. वो अभी से इसकी तैयारियों में जुट गए हैं. लॉकडाउन से पहले उन्होंने लालटेन यात्रा निकाली. उन्होंने कहा है कि उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार आने पर जनता को दिल्ली की तर्ज पर 250 यूनिट प्रति माह बिजली और 25 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन पानी फ्री दिया जाएगा. निसंदेह हरीश रावत इस समय उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी का चेहरा हैं. आने वाला विधानसभा चुनाव उन्हीं की अगुवाई में लड़ा जाएगा.

सिर्फ राजनीति के खिलाड़ी नहीं हैं रावत
छात्र जीवन में हरीश रावत विश्वविद्यालय स्तर पर अपने कॉलेज का कई खेलों में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. वे कबड्डी, फुटबॉल, हॉकी और एथलेटिक्स के खिलाड़ी रहे हैं. देखना ये है कि 2022 में क्या वो सियासी मैदान में बीजेपी के त्रिवेंद्र सिंह रावत को हराकर फिर से सत्ता का स्वाद चख पाएंगे.