NEW DELHI: नागरिक उड्डयन मंत्रालय और पवन हंस के सहयोग से दिल्ली के रोहिणी में देश का प्रथम हेलिपोर्ट बनाया गया है. इस हेलिपोर्ट को बनाने में तकरीबन 100 करोड़ रुपये की लागत आई है और लगभग दो वर्षों में निर्माण कार्य पूरा किया गया है. यह हेलिपोर्ट समस्त हेलिकॉप्टर परिचालन सुविधाएं मुहैया करने के साथ ही इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को भीड़-भाड़ से मुक्त कराएगा तथा इसके साथ ही यह नियमित यात्री सेवाओं के लिए देश के उत्तरी हिस्से में हेलिकॉप्टरों के जरिए क्षेत्रीय हवाई कनेक्टिविटी को बढ़ावा भी देगा. यह हेलिपोर्ट हेलि सेवाओं, हेलिकॉप्टरों की लैंडिंग एवं पार्किंग, हेलिकॉप्टर रख-रखाव सेवाओं (एमआरओ), आपदा प्रबंधन, हेलिकॉप्टर आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं (एचईएमएस), कानून-व्यवस्था की निगरानी में भी उपयोगी साबित होगा. इस हेलिपोर्ट में 150 यात्रियों की क्षमता वाली एक टर्मिनल इमारत,16 हेलिकॉप्टरों के लिए पार्किंग सुविधाओं से युक्त 4 हैंगर और 9 पार्किंग बे शामिल हैं. आने वाले समय में यहाँ पर पायलट प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना करने की भी योजना है.
पवन हंस ने इस हेलिपोर्ट से सभी प्रमुख गंतव्यों जैसे कि दिल्ली से शिमला, हरिद्वार, देहरादून, मथुरा, आगरा, मेरठ और औद्योगिक केन्द्रों (हब) जैसे कि मानेसर, बहादुरगढ़ इत्यादि को आपस में जोड़ने के लिए एक खाका तैयार किया है। इसके तहत रोहिणी हेलिपोर्ट से दिल्ली और आसपास के शहरों के बीच हवाई कनेक्टिविटी सुलभ कराई जाएगी।. इस सुविधा का उद्घाटन नागरिक उड्डयन मंत्री श्री अशोक गजपति राजू ने किया.
नागरिक उड्डयन सचिव श्री आर.एन. चौबे ने बताया कि यह योजना चार हेलिपोर्ट बनाने यानी हर क्षेत्र में एक हेलिपोर्ट बनाने संबंधी राष्ट्रीय विमानन नीति का एक हिस्सा है और रोहिणी में बनाया गया हेलिपोर्ट इस दिशा में पहला कदम है। उन्होंने यह भी कहा कि हेलिकॉप्टर से जुड़े परिचालनों को इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से हटा कर रोहिणी में स्थानांतरित किया जा सकता है।