नई दिल्ली: भारतीय नौसेना द्वारा विकसित किये गए मेडिकल व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) को तेजी से उत्पादित करने की दिशा में कदम उठाते हुए, रक्षा मंत्रालय के बौद्धिक संपदा सुविधा प्रकोष्ठ (आईपीएफसी) ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन आने वाले राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (एनआरडीसी) के सहयोग से सफलतापूर्वक एक पेटेंट फाइल कराया है.
इस किफायती पीपीई को हाल ही में नौसेना औषधि संस्थान (आईएनएम),मुंबई में तैनात भारतीय नौसेना के एक डॉक्टर ने विकसित किया है. पीपीई के एक प्रायोगिक बैच को नेवल डॉकयार्ड, मुंबई में पहले ही प्रदर्शित किया जा चुका है. नौसेना द्वारा विकसित यह पीपीई एक विशेष कपड़े से बनाया गया है जो बाज़ार में उपलब्ध अन्य पीपीई की तुलना में सांस लेने में उच्च सहूलियत के साथ उच्च स्तर की सुरक्षा प्रदान करता है. भारत में प्रचलित गर्म और आर्द्र मौसम में इस्तेमाल करने के लिए यह काफी उपयुक्त है. इसकी प्रौद्योगिकी का परीक्षण भी किया जा चुका है और इसे आईसीएमआर की स्वीकृत जांच प्रयोगशाला से मान्यता भी मिल चुकी है.
इस किफायती पीपीई का बड़ी संख्या में उत्पादन शुरू करने के लिए अब नौसेना, आईपीएफसी और एनआरडीसी की एक कोर टीम द्वारा सम्मिलित प्रयासों में जुटे हुए हैं. इस पीपीई का लाइसेंस युक्त उत्पादन शुरू कराने के लिए एनआरडीसी सक्षम कंपनियों की पहचान करने में जुट गया है. कोरोना वायरस से निपटने की लड़ाई में जुटे हुए स्वास्थ्य कर्मियों को ऐसे आरामदेह पीपीई उपलब्ध कराना जरुरी है, जिनका अधिक पूंजी निवेश किए बिना किफायती दाम पर स्वदेशीय स्तर पर उत्पादन किया जा सके.
रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी किये गए एक प्रेस रिलीज में बताया गया है कि ‘जो कंपनियां या स्टार्टअप्स इसका उत्पादन शुरू करने की इच्छुक हों वो cmdnrdc@nrdcindia.com पर संपर्क कर सकती हैं.’
नौसेना में अन्वेषकों की टीम आईपीएफसी के साथ करीबी समन्वय में काम कर रही है. आईपीएफसी का गठन मिशन रक्षा ज्ञान शक्ति के तहत हुआ था. नवंबर,2018 में आईपीएफसी की स्थापना से लेकर अब तक मिशन रक्षा ज्ञान शक्ति के तहत लगभग 1500 आईपी संपदाओं का सृजन किया जा चुका है.