NEW DELHI: सुब्रत रॉय सहारा को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर बड़ी राहत दी है. उच्चतम न्यायालय ने सुब्रत रॉय सहारा की पैरोल 17 अप्रैल तक बढ़ा दी है लेकिन इसके साथ सहारा को 7 अप्रैल तक 5092 करोड़ रुपये जमा कराने को कहा है. कोर्ट ने कहा है कि 15 अप्रैल तक सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय 5000 करोड़ जमा करवाएं वर्ना उन्हें जेल भेज दिया जाएगा. कोर्ट ने इसके साथ ही सहारा समूह को प्रॉपर्टी बेचने के लिए भी अप्रैल तक का समय दे दिया गया है. लखनऊ के गोमती नगर स्थित सहारा अस्पताल समेत 13 प्रॉपर्टीज बेचने की इजाजत भी कोर्ट ने दे दी है. सहारा ने 15 प्रॉपर्टी की लिस्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी. सुप्रीम कोर्ट ने सहारा को 15 में से 13 संपत्तियों को बेचने की मंजूरी दी जबकि 2 संपत्तियों के डॉक्यूमेंट ठीक नहीं पाए जाने के चलते उसे बेचने पर रोक लगा दी है.
इसके पहले 6 फरवरी को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सहारा ग्रुप की पुणे के लोनावाला स्थित करोड़ों की एम्बी वैली को जब्त करने का आदेश दे दिया था. पिछले साल नवम्बर में सुप्रीम कोर्ट ने रॉय की पैरोल को जारी रखते हुए समूह से कहा था कि वे 6 फरवरी तक 600 करोड़ रुपये का भुगतान करें.
आपको बता दें कि 4 मार्च 2014 को सहारा चीफ सुब्रत रॉय को जेल भेजा गया था. उनकी मां की मौत के बाद उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए उन्हें पैरोल मिली थी तभी से उनकी पैरोल बढ़ती रही है.
सहारा ग्रुप का ये है विवाद :
सहारा ग्रुप की 2 कंपनियों-सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड (SIRECL) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (SHICL) ने रियल एस्टेट में निवेश के नाम पर 3 करोड़ से ज्यादा निवेशकों से वैकल्पिक रूप से फुली कन्वर्टिबिल डिबेंचर के जरिए 17,400 करोड़ रुपए जुटाए थे. सहारा प्राइम सिटी ने सितंबर, 2009 में आईपीओ लाने के लिए सेबी के पास दस्तावेज जमा किए थे जिसके बाद सेबी ने अगस्त 2010 में दोनों कंपनियों के जांच के आदेश दे दिए थे. गड़बड़ी मिलने पर विवाद बढ़ता गया और मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2012 को सहारा समूह की दोनों कंपनियों को निवेशकों के 36 हजार करोड़ रुपए लौटाने का आदेश दिया.