रबी फसलों की खेती: बीज उपचार की इन विधियों से मिलेगा बंपर उत्पादन

किसान भाई बीज उपाचर की इन सरल विधियों को अपनाकर कम लागत में अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.

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नई दिल्ली:  रबी सीजन में उगाई जाने वाली फसलों से किसान अच्छा उत्पादन पा सकें इसके लिए बिहार कृषि विभाग ने बीज उपचार की कुछ बेहतरीन विधियां जारी की है. इससे किसान कम लागत में अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं.

फसलों से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसानों को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इन्हीं चुनौतियों में बीज उपचार भी शामिल है. अगर आप भी रबी फसलों से समय पर अच्छा उत्पादन पाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको अभी से बीज उपचार कर लेना चाहिए.

किसान भाई बीज उपाचर की इन सरल विधियों को अपनाकर कम लागत में अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.

आपको यहां बता दें कि रबी फसलों में बीज उपचार की जिन विधियों की हम बात करने जा रहे हैं, वह बिहार कृषि विभाग के वैज्ञानिकों के द्वारा जारी की गई है. आइए इनके बारे में यहां विस्तार से जानते हैं.

वैज्ञानिकों के द्वारा जारी की गई बीज उपचार की विधियां:

किसानों को समय रहते दलहनी फसलों में राइजोबियम कल्चर से बीजोपचार कर लेना चाहिए. इसके लिए 250 ग्राम गुड़ को एक लीटर पानी में खौला लेते हैं. एक तार की चाशनी बनने पर इसे ठंडा कर इसमें राइजोबियम कल्चर को मिला दिया जाता है. इसको बीज के ऊपर डालकर मिला दिया जाता है. अलग-अलग दलहनी फसलों के लिए अलग-अलग राइजोबियम कल्चर होता है. एक एकड़ खेत के बीज के लिए लगभग 200 ग्राम राइजोबियम कल्चर की आवश्यकता होती है. बीज को कभी भी शोधन के बाद धूप में नहीं सुखायें. शोधित बीज को सुखाने के लिए खुली परंतु छायादार जगह का व्यवहार करें. बीज को उपचारित करते समय हाथ में दस्ताना पहन कर ही बीजोपचार करें.

बीज उपचार की विधियां :

सीड ड्रम विधि:

सीड ड्रम में बीज डालकर उसमें बीजोपचार के लिए अनुशंसित शोधक की मात्रा को डालकर उसमें लगे हैंडल के सहारे ड्रम को इतना घुमाया जाए कि बीज के पर एक परत चढ़ जाए. आवश्यकतानुसार, बीज में पानी के छिटकें दिए जा सकते हैं.

घड़ा विधि:

घड़ा में थोड़ा बीज एवं आवश्यक अनुपात में शोधक डालते हैं. फिर उसी प्रकार कि बीज और शोधक अच्छी तरह मिल जाए. बीज में पानी का छींटा दिया जा सकता है.

स्लरी विधि:

इस विधि में शोधक की अनुशंसित मात्रा गाढ़ा घोल बनाकर बीज के ढेर पर देकर उसे दस्ताना पहने हाथों से अच्छी तरह मिला देते हैं, ताकि बीज पर शोधक की परत चढ़ जाए.

घोल विधि:

इस विधि में शोधक की अनुशंसित मात्रा का घोल पानी की निर्धारित मात्रा में बनाकर उसमें बीज को नियम समय तक डुबोकर रखा जाता है. आलू के बीज का उपचार इसी विधि से करना चाहिए.

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