किसान संघों को इस काम के लिए मिल सकते हैं 15 लाख रुपये,  करना होगा ये काम

आखिर क्या होता है एफपीओ, इससे किसानों को कैसे मिलेगा लाभ ?

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किसान फोटो

नई दिल्ली। कोरोना वायरस को लेकर कृषि क्षेत्र के लिए विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा करते समय केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एफपीओ का जिक्र किया। इससे पहले पीएम मोदी खुद भी फरवरी में इसे लेकर बात कर चुके हैं। सवाल ये है कि आखिर एफपीओ क्या बला है। जिससे आज तक तमाम किसान वंचित हैं। दरअसल, एफपीओ किसान उत्पादक संगठन (कृषक उत्पादक कंपनी) को कहते हैं। किसानों का एक समूह होगा, जो कृषि उत्पादन कार्य में लगा हो और कृषि से जुड़ी व्यावसायिक गतिविधियां चलाएगा। एक समूह बनाकर आप कंपनी एक्ट में रजिस्टर्ड करवा सकते हैं। इसमें सरकार 15 लाख रुपये की आर्थिक मदद देगी।

29 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश भर में 10,000 किसान उत्पादक संगठन (FPO- Farmer Producer Organisation) बनाने की योजना शुरू की, जिसका उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों की सहायता करना है।

ये 10,000 एफपीओ 2024 तक, पांच वर्षों के काल में खोले जाएंगे। एफपीओ योजना का लक्ष्य 86 प्रतिशत उन किसानों को लाभ पहुंचाना है जिनके पास 1 हेक्टेयर से कम जमीन है। अगले 5 साल में इस पर 4,496 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इसके तहत कम से 11 किसान संगठित होकर अपनी एग्रीकल्चर कंपनी या संगठन बना सकते हैं।

किसानों को कैसे होगा फायदा

एफपीओ लघु व सीमांत किसानों का एक समूह होगा, जिससे उससे जुड़े किसानों को न सिर्फ अपनी उपज का बाजार मिलेगा बल्कि खाद, बीज, दवाइयों और कृषि उपकरण आदि खरीदना आसान होगा। सेवाएं सस्ती मिलेंगी और बिचौलियों के मकड़जाल से मुक्ति मिलेगी।

अगर अकेला किसान अपनी पैदावार बेचने जाता है, तो उसका मुनाफा बिचौलियों को मिलता है। एफपीओ सिस्टम में किसान को उसके उत्पाद के भाव अच्छे मिलते हैं, क्योंकि बारगेनिंग कलेक्टिव होगी। वो एक साथ खाद और बीज लेने का सौदा करेगा तो सस्ता पड़ेगा। इससे किसानों की सामूहिक शक्ति बढ़ेगी।

कैसे मिलेगी सहायता

मोदी सरकार हर एफपीओ को 15 लाख रुपये देने की बात की है। उसका फायदा कंपनी का काम देखकर तीन साल में दिया जाएगा।

अगर संगठन मैदानी क्षेत्र में काम कर रहा है तो कम से कम 300 किसान उससे जुड़े होने चाहिए। यानी एक बोर्ड मेंबर पर कम से कम 30 लोग सामान्य सदस्य हों।पहले 1000 था।

पहाड़ी क्षेत्र में एक कंपनी के साथ 100 किसानों का जुड़ना जरूरी है। उन्हें कंपनी का फायदा मिल रहा हो।

पैसा लेने की शर्तें

नाबार्ड कंस्ल्टेंसी सर्विसेज आपकी कंपनी का काम देखकर रेटिंग करेगी, उसके आधार पर ही ग्रांट मिलेगी।

बिजनेस प्लान देखा जाएगा कि कंपनी किस किसानों को फायदा दे पा रही है। वो किसानों के उत्पाद का मार्केट उपलब्ध करवा पा रही है या नहीं।

कंपनी का गवर्नेंस कैसा है। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर कागजी हैं या वो काम कर रहे हैं. वो किसानों की बाजार में पहुंच आसान बनाने के लिए काम कर रहा है या नहीं।

अगर कोई कंपनी अपने से जुड़े किसानों की जरूरत की चीजें जैसे बीज, खाद और दवाईयों आदि की कलेक्टिव खरीद कर रही है तो उसकी रेटिंग अच्छी हो सकती है।

कौन करेगा मदद

एफपीओ का गठन और बढ़ावा देने के लिए लघु कृषक कृषि व्यापार संघ, राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC)  से मदद ली जा सकती है.  इस वक्त करीब पांच हजार एफपीओ रजिस्टर्ड हैं।

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