संघर्ष करती इन महिलाओं को कभी मिल सकेगा न्याय ?

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AJAY KUMAR

NEW DELHI: उत्तर प्रदेश के मुजफरनगर में सितम्बर 2013 में हुए दंगों ने पुरे देश को हिल कर रख दिया था उत्तर प्रदेश के साथ ही कई अन्य राज्यों तक इस दंगे का प्रभाव देखने को मिला था. मुजफरनगर के इस दंगे के कारण तमाम लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े थे. दंगापीड़ितों को खुले आसमान के नीचे कैम्पों में अपने छोटे बच्चों और परिवार सहित गुजरा करना पड़ा था.

मुजफ्फरनगर दंगे में कुछ महिलाएं हैवानियत की शिकार हुई थी जो आजतक न्याय के लिये भटक रहीं हैं लेकिन उन्हें अभी तक न्याय नही मिला है. इस दंगे में कुछ दंगाइयों ने इंसानियत की हदों शर्मशार करते हुए कई महिलाओं के साथ बलात्कार किया था. जिन महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाएँ हुई थी वो महिलाएं आज भी न्याय के लिए भटक रही हैं. रेप पीड़ित महिलाओं के न्याय का मामला इस चुनाव में एक बार फिर से उठकर बंद हो गया है . रानीतिक दल इस मुद्दे को साध कर अपनी वोट की राजनीती को चमकाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन चुनाव ख़त्म होने के साथ ही सब ख़त्म.

एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार दंगों के बाद कुल सात महिलाएं सामने आई थी जिन्होंने हिम्मत दिखाकर केस दर्ज कराया था. अब इस मामले को लगभग तीन साल हो चुकें है किसी को सजा मिलना तो दूर की बात है अदालती कार्यवाही भी काफी धीमी चल रही है. रिपोर्ट के अनुसार  पुलिस के आरोप पत्र दायर करने के बाद भी मुकदमें तुरंत नहीं शुरु किये गए. पीड़ित महिलाएं लगातार कह रही है की उन्हें धमकियों का भी सामना करना पड़ रहा है जिसका असर न सिर्फ केस पर पड़ता है बल्कि उनके जीवन पर भी पड़ रहा है. महिलाओं को धमकी मिलने के बाद पुलिस से भी सहयोग नही मिल रहा है जिससे न्याय मिलने की उम्मीद धुधली होती जा रही है. दंगा पीड़ित रोजमर्रा की समस्याओं से जूझ रहे हैं उन्हें जो मुआवजा मिला है वो उनके संघर्ष के आगे कम पड़ रहा है. महिलाओं को अदालत में बयान बदलने धमकी भी मिल रही है. डर से कुछ महिलाएं अदालत में बयान बदल भी चुकी हैं.

 

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