अब नदी में नहीं होगा इन मूर्तियों का विसर्जन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कही ये बड़ी बात

नदियों और जलाशयों को साफ रखने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने किया नियमों में बदलाव. नए नियमों के तहत उन्ही मूर्तियों को जल में विसर्जित करने की अनुमति होगी, जिनका निर्माण पर्यावरण हितैषी तत्वों से किया जाएगा.

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प्रतीकात्मक फोटो, मूर्ति विसर्जन, पेक्सल्स

नई दिल्ली: देश में अब कहीं भी प्लास्टिक, प्लास्टर ऑफ पेरिस और थर्माकोल जैसी हानिकारक चीजों से बनी मूर्तियों का पानी में विसर्जन नहीं किया जा सकेगा. नदियों और जलाशयों को साफ रखने और मूर्ति विसर्जन को पर्यावरण हितैषी तरीके से पूरा करने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड  (सीपीसीबी) ने नियमों में बदलाव कर दिया है. नए नियम में इन हानिकारक तत्वों से बनी मूर्तियों का विसर्जन प्रतिबंधित किया गया है.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नें मंगलवार को मूर्ति विसर्जन के लिए संशोधित दिशा-निर्देश जारी किया. बोर्ड ने यह कदम इसलिए उठाया है ताकि सिंथेटिक पेंट और रसायनों के बजाय प्राकृतिक रंगों से रंगी मूर्तियों के उपयोग को बढ़ावा मिल सके. नए नियमों के तहत उन्ही मूर्तियों को जल में विसर्जित करने की अनुमति होगी, जिनका निर्माण पर्यावरण हितैषी तत्वों से किया जाएगा.

दरअसल नदियों और जलाशयों में हर साल भारी संख्या में मूर्तियों का विसर्जन  किया जाता है. सस्ते, जहरीले और कार्बनिक तत्वों से बनी मूर्तियों के उपयोग से जल स्रोत बुरी तरह प्रदूषित हो रहे थे. सीपीसीबी लगातार इन पर अंकुश लगाने को दिशा-निर्देश जारी कर रहा था, लेकिन मूर्ति निर्माण में उपयोग होने वाले हानिकारक पदार्थों पर रोक नहीं होने से यह कवायद बेकार साबित हो रही थी.

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