Faridabad: समाज में बढ़ती दहेज प्रथा पर अंकुश लगाने के लिए पाल-बघेल सभा ने अनुकरणीय काम शुरू किया है. सभा लगातार सामूहिक विवाह सम्मेलनों और परिचय सम्मेलनों के जरिए यह काम कर रही है.
किसी सम्मेलन में 30 तो किसी में 45 जोड़ों का सामूहिक विवाह करवाकर उन्हें दहेज की कुप्रथा से दूर किया. समाज के नेता पूरण सिंह बघेल कहते हैं कि शादियों में हो रहे अनाप-शनाप खर्चों से बचाने व मजबूरी में शादी के लिए कर्ज और उधार से बचाने के लिए पाल बघेल सभा प्रयासरत है.
उनका कहना है कि सभा आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को पढ़ाने का प्रयास भी कर रही है. ताकि बच्चे पढ़-लिखकर वकील, इंजीनियर, डॉक्टर, सीए, आईएएस और सेना के अधिकारी बन सकें. शादी में होने वाली फिजूलखर्ची को रोक कर यदि वह पैसा बच्चों के पढ़ाने-लिखाने पर लगाया जाए तो समाज आगे बढ़ सकता है.
बघेल सभा की ओर से आयोजित सामूहिक विवाह कार्यक्रम
बघेल का कहना है कि सामूहिक विवाह सम्मेलन में शादी करने के बाद वर पक्ष को कन्या पक्ष की तरफ से दहेज के झूठे केस में फंसने का डर नहीं रहता. कोर्ट केस से भी राहत मिलती है. अन्यथा अरेंज मैरिज करने पर लड़की पक्ष की तरफ से जरा सा झगड़ा होने पर ही दहेज के केस में फंसने का डर हमेशा सिर पर मंडराता रहता है.
बेटा-बेटी और पुत्रबधू की पढ़ाई में भेदभाव न करें
समाज के नेता एडवोकेट महेंद्र सिंह बघेल का कहना है कि समाज से दहेज लेने-देने का प्रचलन कैसे बंद हो, मृत्यु भोज जैसी कुरीति कैसे बंद हो, इस बारे में हर सामाजिक कार्यकर्ता खुद चिंतन करें. बेटा-बेटी और पुत्रबधू की पढ़ाई में भेदभाव न करें. उच्च शिक्षा प्राप्त करने में यदि अपना घर भी बेचना पड़े तो वह सस्ता है.
शादी-विवाह व सगाई आदि कार्यक्रमों के आयोजन के बाद एक ऐसी लीक बनी दिखाई देनी चाहिए कि गर्व से कोई भी कह सके कि वास्तव में सामाजिक कार्यकर्ता ऐसा होना चाहिए.
ईमानदारी, उच्च चरित्र, विनम्रता, दूरदर्शी, त्यागी व मिलनसार व्यवहार, किसी सामाजिक कार्यकर्ता के आभूषण होते हैं. बघेल कहते हैं किसी को भी समाज को बैसाखी बनाकर स्वार्थ नहीं सिद्द करना चाहिए.