नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए मास्क के उपयोग पर जोर दिया जा रहा है. आम लोगों के साथ -साथ पुलिस, डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मियों और आवश्यक सेवाओं से जुड़े अन्य कर्मचारियों को लंबे समय मास्क लगाना पड़ रहा है. लंबे समय तक मास्क लगाकर रहने से कई बार सांस लेने में घुटन महसूस होती है. भारतीय वैज्ञानिकों ने एक हर्बल डीकन्जेस्टैंट स्प्रे विकसित किया है, जो इस समस्या से निजात दिलाने में मददगार हो सकता है.
नेशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनबीआरआई) के शोधकर्ताओं द्वारा तैयार किया गया यह हर्बल डीकन्जेस्टैंट स्प्रे किसी इन्हैलर की तरह काम करता है. लखनऊ स्थित एनबीआरआई काउंसिल ऑफ साइंटिफिक ऐंड इंडस्ट्रियल रिसर्च की एक प्रयोगशाला है, जिसे मुख्य रूप से वनस्पतियों पर किए जाने वाले उसके अनुसंधान कार्यों के लिए जाना जाता है. एनबीआरआई के इस हर्बल स्प्रे के शुरुआती नतीजे बेहद शानदार मिले हैं. देर तक मास्क पहनने वाले लोगों को इससे काफी राहत मिल रही है.
एनबीआरआई के मुख्य वैज्ञानिक डॉ शरद श्रीवास्तव ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि “इस हर्बल डीकन्जेस्टैंट स्प्रे को औषधीय और सगंध पौधों से तैयार किया गया है और इसका उपयोग पूरी तरह से सुरक्षित है. जिन पादप तत्वों का उपयोग इस स्प्रे में किया गया है, उनके नाम का खुलासा बौद्धिक संपदा संबंधी कारणों से अभी नहीं किया जा सकता. इसे सिर्फ एक बार मास्क पर स्प्रे करना होता है. स्प्रे करने के बाद मास्क का उपयोग करने पर नासिका और श्वसन तंत्र खुल जाता है और फिर सांस लेने में परेशानी नहीं होती.”
इस स्प्रे को आयुष मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के आधार पर तैयार किया गया है. संस्थान की योजना इस इन्हैलर की तकनीक को व्यावसायिक उत्पादन के लिए हस्तांतरित करने की है, ताकि बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन किया जा सके और इसे जरूरतमंदों तक पहुँचाया जा सके.