नई दिल्ली. कोरोना के संक्रमित मरीजों की टेस्टिंग के लिए चीन और अन्य देशों से मंगवाई गई रैपिड एंडीबॉडी टेस्टिंग किट अब उन देशों को वापस लौटाई जाएंगी. यह भारतीय मानदंडों पर खरी नहीं उतरी हैं. जिसके वजह से इन्हें लौटाया जाएगा. इन किट के नतीजों को लेकर कई राज्यों से शिकायतें आ रही थीं. राज्य सरकारों की ओर से इनके खराब रिजल्ट के शिकायत के बाद भारत सरकार ने किट लौटाने का फैसला लिया है. यह बात केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने शुक्रवार को राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में कही. उन्होंने कहा कि हम उन देशों को किट के एवज में कोइ रकम नहीं देंगे.
केंद्र सरकार के द्वारा राज्यों की दी गई टेस्टिंग किट के नतीजों पर पिछले दिनों पश्चिम बंगाल और राजस्थान समेत कई राज्यों ने सवाल उठाए थे. राजस्थान ने इस किट को कोरोना जांच में फेल पाया और इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी. आइसीएमआर के डॉक्टर रमन गंगाखेड़कर ने भी कहा था कि कोरोना के वायरस की पुष्टि में एंटीबॉडी आधारित यह किट प्रमाणिक नहीं है और इसके लिए पहले चले आ रहे आरटीपीसीआर किट का ही इस्तेमाल किया जाएगा. देश में जिन चीनी कंपनियों की जांच किट पर सवाल उठे हैं, उन पर यूरोप पहले ही प्रतिबंध लगा चुका है. परिणाम भरोसेमंद न मिलने पर यूरोपीय देशों ने 20 लाख किट चीन को वापस भेज दी थीं. आरोप है कि चीन ने महीने भर बाद करोड़ों की यही किट भारत को भेज दीं.
क्या होती है रैपिड किट?
इस टेस्ट के जरिए कोरोना के संदिग्ध मरीजों के खून के नमूनों की जांच की जाती है. ये कोरोना के संदिग्ध मामलों की तेजी से स्क्रीनिंग और उनका पता लगाने के लिए जरूरी है. मरीज के स्वाब की पैथोलॉजी लैब में होने वाली टेस्ट से मिलने वाले नतीजों की तुलना में रैपिड टेस्ट किट से नतीजे हासिल करने में कम समय लगता है. लेकिन रैपिड टेस्ट में एक कमी है. दरअसल, शरीर में अगर कोरोनावायरस है, लेकिन उस पर एंडीबॉडीज ने असर नहीं डाला तो रैपिड टेस्ट नेगेटिव आता है. यानि वायरस की मौजूदगी है, लेकिन पता नहीं चलेगा. ऐसे में उस व्यक्ति में संक्रमण के लक्षण बाद में उभर सकते हैं और तब तक वह दूसरों को भी संक्रमित कर सकता है. इससे उलट आरटी-पीसीआर टेस्ट में नतीजे बिल्कुल सटीक आते हैं.