मतदान यानि महादान के पहले चरण के चुनाव में उत्तर प्रदेश विधानसभ के लिए रिकार्ड वोटिंग हुई| वर्ष 2012 के चुनाव में जहा 59.40 प्रतिशत के मुकाबले इस बार 64.22 प्रतिशत मतदान हुआ| इस बार के चुनाव में वोटर प्रथम श्रेणी में पास हुए है| छिटपुट घटनाओं को छोड़ चुनाव शांतिपूर्ण संपन्न हुआ|पश्चिमी यूपी में कुछ सीटों पर जाट और मुस्लिम मतदाता ही निर्णायक होते है|
15 जिलों की 73 सीटों हुए चुनाव में सबसे अधिक 71.18 प्रतिशत मतदान आगरा के फतेहाबाद सीट पर हुआ जबकि सबसे कम मतदान नॉएडा की सिट पर 51 प्रतिशत हुआ| शामली जिला 67.12 प्रतिशत मतदान के साथ सबसे आगे है|
प्रथम चरण में सपा-बसपा के बीच कई सीटों पर मुस्लिम वोटरों के बटने से बीजेपी के लिए फायदा हो सकता है| आरक्षण मुद्दे पर जाटों की नाराजगी झेल रही बीजेपी प्रथम चरण के 73 सीटों में ज्यादातर सीटों पर मुख्य मुकाबले में है| मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत, मेरठ, हापुड़, गाजियाबाद और बुलंदशहर में मुस्लिम वोटर 20-38 प्रतिशत के बीच है| अलीगढ़, हाथरस और गौतमबुद्ध नगर में भी 15-20 प्रतिशत मुस्लिम वोटर है| बसपा और सपा-कांग्रेस गठबंधन मुस्लिमों का हितैसी बनने की कोसिस में लगे रहे| लेकिन सपा-कांग्रेस गठबंधन और बीएसपी मुस्लिम बहुल सीटों पर मुस्लिम चेहरों को चुनावी मैदान में उतारने का फायदा बीजेपी को मिल सकता है|
बीजेपी अपने रणनीतिक खेल के तहत बीजेपी-सपा के बीच मुख्य मुकाबला बताती रही है| ऐसे में सपा को मुकाबले में रहने से बीजेपी को वोटों के ध्रुविकारण करने में आसानी रहती है| मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट पर मुस्लिम मतदाताओं का वोट सपा और बसपा में बटा जिसका फायदा बीजेपी के अवतार सिंह भड़ाना को मिलना तय माना जा रहा है| मीरापुर सीट पर सपा से लियाकत और बसपा से नवाजिश आलम चुनावी मैदान में है|
पश्चिमी यूपी में पकड़ रखने वाले रालोद सुप्रिमो चौधरी अजित सिंह की पार्टी भी मुकाबले में है| जाट बहुल सीटों पर अजित सिंह का काफी प्रभाव है| शनिवार को मतदान के दिन चौधरी चरण सिंह की याद दिलाते हुए किसान और मजदूरों की बात सामने रख रालोद के पक्ष में वोट करने की अपील कर रहे थे|