युपीए सरकार की निजीकरण की नीतियों को आगे बढ़ा रही है सरकार

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Faridabad: अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी फैडरेशन के बैनर तले 2 मार्च को संसद के समक्ष आयोजित धरना प्रदर्शन में फरीदाबाद से सैंकड़ों की संख्या में कर्मचारियों ने भाग लिया. संसद कूच में देश के विभिन्न राज्यों से आए कर्मचारी अलग-अलग जगहों पर एकत्रित हुए. दूर दूर से आये कर्मचारियों ने संसद मार्ग पर पहुंच कर सामूहिक धरना दिया. कर्मचारियों ने वहां नई नेशनल पैशन स्कीम को रद्द करने, समान काम के लिए समान वेतनमान देने, सभी प्रकार के केजुअल व अनुबंध कर्मचारियों को नियमित करने को लेकर आवाज बुलंद की.

संसद के समक्ष आयोजित धरने की अध्यक्षता करते हुए अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी फैडरेशन के सहायक महासचिव सुभाष लाम्बा ने सरकार को चेतावनी दी कि अगर आज के प्रदर्शन के बावजूद देश के कर्मचारियों की मांगों की अनदेखी की गई तो देशव्यापी आंदोलन को तेज किया जाएगा. फेडरेशन के महासचिव ए कुमार ने कहा कि केन्द्र सरकार पूर्ववर्ती युपीए सरकार की उदारीकरण व निजीकरण की नीतियों को आगे बढ़ा रही है, जिसके कारण सार्वजनिक सेवाओं का विस्तार होने की बजाय उनका आकार छोटा हो रहा है. उन्होंने सरकारी विभागों में खाली पड़े करोड़ों पदों को नियमित भर्ती से न भरने और ठेका प्रथा की नीतियों को तेज करने की कड़ी आलोचना की. धरने पर सर्वसम्मति से पारित किए गए प्रस्ताव में 16 मार्च को होने वाली केन्द्रीय कर्मचारियों की देशव्यापी हड़ताल का समर्थन किया.

संसद कूच एवं धरने को सीआईटीयू के महासचिव कामरेड तपन सेन, केन्द्र सरकार के कर्मचारियों एवं मजदूरों की कंफडरेशन के चेयरमैन केकेएन कुट्टी, प्रधान एम कृष्णन, स्कूल टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसटीएफआई) के उपमहासचिव तपन चक्रवर्ती, अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी फैडरेशन के नेता सबिता, मंजुल कुमार दास, ओमप्रकाश शर्मा, वेदप्रकाश शर्मा, एस पी सिंह, आयूदीन सिंह, मौ. मकबूल, सुखदेव सैनी, गोपालदत्त जोशी, राम आधार शर्मा, असीमपाल, निर्मलदास, नरेन्द्र चन्द्राकर, राजकिशोर राय, कांतिलाल गूहा आदि ने सम्बोधित किया.

संसद कूच की प्रमुख मांगे

संसद कूच मे नयी पेंशन स्कीम(एनपीएस) को रद्द करवाके नये भर्ती हुये कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम के दायरे मे लाने, सभी दैनिक वेतन भोगी व संविदा कर्मचारियों को नियमित करने, नियमितिकरण तक माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्णयानुसार समान काम के लिये समान वेतन देने, खाली पड़े लाखों पदो को पक्की भर्ती से भरने, उदारीकरण, निजिकरण व ठेका प्रथा की नीतियों पर रोक लगाने, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के कर्मचारी विरोधी प्रावधानों को वापस लेने व भत्तो मे मंहगाई के अनुसार जनवरी 2016 से बढोतरी करने आदि मांगो को प्रमुखता से उठाया!

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