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NEW DELHI: स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इंडिया द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिपण्णी करते हुए कहा है कि कोचिंग सेंटरों द्वारा शिक्षा का व्यवसायीकरण हो रहा है जो इस क्षेत्र के लिए सही नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने देश में कुकुरमुत्ते की तरह फ़ैल रहे कोचिंग सेंटरों को लेकर चिंता जाहिर की है और सरकार से निजी कोचिंग सेंटरों के कामकाज पर नियंत्रण करने के लिए कारगर निति बनाने के लिए कहा है.कोर्ट ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है की आज के माहौल को देखकर ऐसा लगता है की कोचिंग संसथान शिक्षा का व्यवसायीकरण कर रहे हैं और शिक्षा अपने मूल उद्देश्य से भटक रही है.
न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति यू यू ललित की पीठ ने केन्द्र सरकार से कहा है कि हम निजी कोचिंग संस्थानों को बंद करने का आदेश तो नहीं दे सकते लेकिन केन्द्र सरकार निजी संस्थानों पर नियंत्रण करने के लिए कोई ठोस और कारगर निति जरुर बनाये .
इस सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मेडिकल और इंजीनियरिंग की परीक्षाओं के आधार पर भी सवाल उठाया और कहा की इन दोनों परीक्षाओं का आधार नही होना चाहिये. कोर्ट ने कहा की प्रवेश परीक्षा के अलावा स्कूल रिजल्ट को भी तवज्जो मिलनी चाहिये. इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा की स्कूल रिजल्ट को चालीस प्रतिशत और दाखिला प्रवेश परीक्षा को साठ प्रतिशत तवज्जो मिलनी चाहिये. कोर्ट ने आगे कहा की आधार हम तय नहीं कर सकते यह सरकार का कम है इसलिये सरकार को चाहिये की वह इस मामले में ठोस कदम उठाये और निति लाकर आधार तय करे.
रिहायशी इलाकों में खुले कोचिंग संस्थानों पर भी कोर्ट ने जताई थी आपत्ति
इससे पहले भी कोर्ट ने रिहायशी इलाकों में चल रहे कोचिंग सेंटरों पर आपत्ति जताई थी और कहा था की इस तरह के तमाशे को इजाजत को इजाजत नही मिलनी चाहिये लोग कोचिंग सेंटरों को रिहायशी इलाकों में खोल लेते हैं जिससे वह सार्वजनिक स्थलों में तब्दील हो जाता है. इस वजह से भीड़भाड़ भी बढ़ जाती है और लड़कों की मटरगस्ती करने से माहौल ख़राब होता है और स्थानीय निवाशियों को परेशानी होती है खासकर बुजुर्गों और बच्चो को, इससे इलाके का सुकून छिन जाता है और शोरगुल बढ़ जाता है.