LUCKNOW: रेलवे जो भारत के लोगों के लिए यातायात का सबसे प्रमुख साधन है. कश्मीर से कन्याकुमारी तक लोगों को ले जाने ले आने का काम करती है. ये रेलवे आज कई तरह से बदहाल है. इसकी बदहाली का कारण आज तक कोई समझ नहीं पाया. रेलवे की कोई भी व्यवस्था ऐसी नही है जिससे इसके यात्रियों को परेशानी न होती हो. सबसे बड़ी समस्या तो ये है कि अगर आपको कहीं जाना है तो कन्फर्म टिकट की व्यवस्था कर पाना आसन नही है. जिस काउंटर से आप टिकट नही ले पाएंगे वही से एक दलाल आपसे चार–पांच सौ रूपये ज्यादा लेकर आपके सामने ही टिकेट निकलवा कर दे देगा यह सब रेलवे के कर्मचारी, रेलवे पुलिस और दलालों की मिलीभगत से हो जाता है सरकार तमाम दावे तो करती है लेकिन आज तक ऐसी दलाली को रोकने में सफल नहीं हो सकी है.
रेलवे की टिकट प्रणाली
टिकट मिलने के बाद भी रेलवे के डिब्बों में देखें तो रेलवे अपनी औकात से ज्यादा लोगों को ढोते हुए नजर आयेगा. डिब्बों के अंदर भी आपको रेलवे के लूटतंत्र का नजारा देखने को मिलेगा. चार्ट तैयार होंनें के बाद या वेटिंग फुल होने के बाद भी आपको रेल के डिब्बों या प्लेटफार्म पर कुछ लोग नजर आ जायेंगे जो ज्यादा पैसे लेकर रशीद के रूप में टिकट बना देंगे. इसको लूटतंत्र कहना इसलिए उचित होगा क्योंकि जब रेलवे के काउंटर से टिकट मिलना बंद हो जाता है, रेलवे की आईआरसीटीसी (ऑनलाइन टिकट) के वेटिंग टिकट अमान्य हो जाता है तब ये ज्यादा पैसों का राशिदी टिकट मान्य रहेता है.

ट्रेनों की देरी और रफ़्तार कब सही होगी
रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने देश में बुलेट ट्रेन चलने की घोषणा कर दी. देश में चलने वाली सुपरफास्ट, एक्सप्रेस, मेल आदि गाडियों की रफ्तार इस समय बैलगाड़ी जैसी हो गयी है, इस पर रेल मंत्री का कोई बयान नहीं आता. इस देश की कितनी बड़ी विडम्बना है कि अतिरिक्त पैसा और अपनी औकात से ज्यादा लोगों को ढो रही रेलवे हमेशा घाटे में ही रहती है. रेलवे की सबसे बड़ी समस्या जिससे आमजन बहुत परेशान हैं वो है ट्रेनों की लेटलतीफी. ट्रेनों का हाल बहुत बुरा है अधिकांश ट्रेने देरी से ही चल रही है कोई 2 घंटे की देरी से तो कोई 10 से 12 घंटे की देरी से चल रही है. इतना ही नहीं भारतीय लोगों के यातायात के लिए रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाली रेलगाड़ी कभी-कभी रद्द (कैंसिल) भी कर दी जाती है. 120 दिन पहले टिकट कराने वाले यात्रियों को बगैर किसी पूर्व सूचना के यात्रा शुरू होने के कुछ घंटे पहले ट्रेन रद्द होने की सुचना दी जाती है, वह भी रेलवे स्टेशन पर जाने के बाद पता चलता है. गोरखधाम और वैशाली जैसी ट्रेने 6-7 घंटे की देरी से चल रही हैं पहले रेलवे अपनी इस नाकामी को छिपाने के लिए इस मौसम में धुंध और कोहरे का बहाना बना देता था अभी न धुंध है न ही कोहरा है फिर भी ट्रेने क्यों लेट हैं इसका रेलवे के पास कोई जवाब नहीं है.
रेलवे साफसफाई और अन्य व्यवस्थाओं में भी बदहाल है गोरखधाम ट्रेन के एस 8 में यात्रा कर रहे यात्री पुनीत पाण्डेय बताते हैं कि ट्रेन तो 8 घंटे के करीब लेट है साथ ही इस बोगी में न तो इलेक्ट्रिसिटी की सुविधा है ना साफ-सफाई की और दिल्ली से ही इस बोगी के शौचालय में पानी नहीं होने से काफी परेशानी हो गई है. सुविधा देने के नाम पर रेलवे सिर्फ किराया ही बढाता है, लेकिन कोई सुविधा सही तरीके से नहीं मिलती है.