झारखण्ड के छऊ डांस ने दर्शकों का मन मोहा

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    By Jiopost.com

    Surajkund Faridabad: सूरजकुंड इंटरनेशनल क्राफ्ट मेले में थीम स्टेट झारखण्ड दर्शकों को अपनी कला, संस्कृति और पारम्परिक रीतियों से रूबरू करा रहा है। झारखण्ड की थीम का प्रमुख हिस्सा कलाकारों द्वारा दिखाया जा रहा  छऊ डांस है। छऊ डांस की उत्त्पत्ति को ले कर कई मत हैं, परंतु प्रमुखता से इसकी उत्पत्ति झारखण्ड के सराय केला और खरसावां से मानी जाती है। छऊ के तीन प्रकार होते है, ओडिसा का मयूरभंज छऊ, पश्चिम बंगाल का पुरुलिया छऊ और सराईकेला का खरसावां का सराईकेला छऊ।

    आदिवासी परंपरा प्रकृति के बेहद करीब मानी जाती है जिसकी झलक छऊ डांस में भी देखने को मिलती है। इसके प्रदर्शन में भगवान्, चिड़ियाँ, शिकारी, तीर धनुष, फूल आदि का प्रयोग किया जाता है। जिनके प्रयोग से कलाकार अपने भाव और पटकथा को प्रदर्शित करता है। झारखण्ड में प्रचलित सराईकेला छऊ का इतिहास भी काफी रोचक है। सराईकेला की स्थापना 17 वीं शताब्दी के (1620-25 ) के मध्य मानी जाती है। इसी भूमि को संगीत और नृत्य की भूमि भी बोला जाता है। छऊ का क्रियान्वयन अलग अलग अखाड़ों (घरानों) द्वारा किया गया, जो की नूरगढ़ अखाड़ा, राजेंद्र पटनायक अखाड़ा और अमीन सही अखाड़ा है। मूलतयः छऊ के प्रदर्शन में धनुष -बाण, तलवार- ढाल का प्रयोग किया जाता है जिससे की वीर रस या शौर्य का प्रदर्शन किया जा सके।  कलाकार प्रभात कुमार महतो बताते है की उनका ग्रुप विगत कई सालो से छऊ डांस ही प्रदर्शित कर रहा है। इस ग्रुप में कुछ ऐसे भी लोग है जो पिछले 30 सालों से पीढ़ी दर पीढ़ी यही कार्य करते आ रहे हैं।

    सूरजकुंड मेले के झारखण्ड पवेलियन में हर दिन विशिष्ठ अथितियों का आगमन भी हो रहा है। मेले के छठे दिन पद्म भूषण राजीव सेठी जी ने पविलियन का अवलोकन किया। राजीव सेठी देश के जाने माने डिज़ाइनर, पटचित्रकार और कला क्यूरेटर हैं। उन्हें साउथ एशिया के प्रख्यात डिज़ाइनर में मन जाता है। साथ ही कला और सांस्कृतिक विरासत में उनके योगदान को सराहा जाता है। इनके काम (डिजाईन, आर्किटेक्ट, एक्सहिबिशन, पिब्लिकेशन और प्रोग्राम ) को कला समुदाय में उच्च स्थान प्राप्त है। इनके सहयोग से ही कई भारतीय कलाकारों को अपनी कला प्रदर्शित करने का अंतरराष्ट्रीय पटल मिला है। इनके काम के लिए इन्हें वर्ष 1980 में संस्कृति अवार्ड और 2010 में इंटेक द्वारा इंदिरा गाँधी लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड ने नवाजा गया है। अवलोकन पश्चात राजीव ने झारखण्ड पर्यटन द्वारा किये गए कार्य की सराहना की।

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